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________________ भनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका १० ८ मल्लीभगवहीवापसरनिरूपणम् ५०१ आसिय च सयसहस्साई अयमेयारूवं अस्थसपयाणं साहरेइ, साहरिता मम एयमाणत्तिय पच्चप्पिणेह, तएण ते जंभगा देवा वेसमणेणं एव वुत्ता समाणा हट्टतुट्टा जाव पडिसुति, पडिसुणित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभार्ग अवकमंति, अवकमित्ता जाव उत्तरउब्बियाई रुवाइ विउव्वति, विउब्धिता ताए उछिट्ठाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जीवे दोवे जेणेव भारहे वासे जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुभगस्स रपणो भवणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता कुभगस्स रन्नो भवणंसि तिन्नि कोडिसिया जाव साहरंति, साहरित्ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल जाव पञ्चप्पिणंति, तएण से वेसमणे देवे जेणेव सके देविदे देवराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव पच्चप्पिणइ, तएणं मल्ली अरहा क्ल्लाकल्लि जाव मागअहो पायरा सो त्ति बहूर्ण सणाहाण य अणाहाण य पथियाण य पहियाण य करोडियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोडि अट्ट य अणूणाइ सयसहस्साई इमेयारूप अत्थसपदाण दलयइ, तएणं से कुभए मिहिलाए रायहाणीए तत्थर तहि२ देसे २ वहओ माणससालाओ करेइ, तत्थ णं बहवे मणुयादिगभइभत्तवे यणा विपुल अलणं पाणं खाइमसाइम उवक्खडति, उवक्खडित्ता जे जहा आगच्छति त जहा-पथिया वा पहिया वा क्रोडिया वा कप्पडिया वा पासडत्था वा गिहित्था वा तेसिं य तहा
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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