________________
हाताधर्मकथा
जलाभिषेय पूयप्पाणे अवि-घेणं सगं गच्छति, तएणं से सुदं सणे सुरस अतिए धर्म सोच्चा हट्टे सुयरस अंतिए सोयमूलय धम्मं गिoes, गण्हित्ता परिव्वायएं विपुलेण असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपरिग्गर्हणं परिलाभेमाणे जाव विहरह । तएण से सुए परिव्वायगे सोगधियाओं नयरीओ निगच्छइ, निर्गच्छत्ता वहिया जणवय विहारंविहरइ ॥ सू० १९ ॥ " तेण कालेन " इत्यादि ।
출남
टीका - तस्मिन् काले तस्मिन् समये सौगन्धिका नाम नगरी आसीत् वर्णक सौगन्धिकानगर्या वर्णन औपपातिकमृत्रोक्त चम्पानगरीवद् वाच्यम् नीलाशोक मुद्यान - नीलाशोक नामकमुपवन तत्रासीत् । वर्णक - अस्योद्यानस्य वर्णन पूर्वत्रद् बोध्यम् । तत्र खलु सौगन्धिकाया नगर्या सुदर्शनो नाम नगर श्रेष्ठी प्रतिवसति ।
'तेण कालेन तेण समएण ' इत्यदि ॥
टीकार्य - (तेण कालेन तेण समरण) उस काल और उस समय मे ( सोगधिया नाम नगरी होत्या) सौगधिका नाम की नगरी थी( चन्नओ ) इस नगरी का वर्णन औपपातिक सूत्र मे जिस प्रकर नगरी का वर्णन किया गया है उसी तरह का जानना चाहिये । ( नीलासोए उज्जाणे ) इस नगरी मे उद्यान था जिसका नाम नीलाशोक था । ( वन्नओ ) पूर्वकी तरह इस उद्याने का वर्णन जान लेना चाहिये । (तत्थ ण सोगधियाए नयरीए सुदसणे नाम नयरसेट्ठी परीवसई अड्डे जाव अपरिभूए) उस सौगंधिका नगरी मे सुदर्शन नाम
तेण कालेन वेण समपर्ण इत्यादि ।
टीअर्थ - (तेण काळेण देण समरण) ते अणे अने ते सभये ( सोगधिया नाम नगरी होत्था ) सौग धिा नाभे नगरी हती ( बन्नओ) सोपपाति સૂત્રમા જે પ્રમાણે ચ પાનગરીનુ વર્ણન કરવામા ભાવ્યુ છે તે પ્રમાણેજ અહીં पशु भी सेवु लेहो, (नीला सोप उज्जाणे ) मा नगरीमा शेठ उद्यान हेतु केतु नाम नीसाशोड हुनु ( वन्नओ ) पडेलानी प्रेम या धाननु वन पशुनाशी सेवु लेहो ( तत्थण सोगधियार नयरीए सुदसणे नाम नयर सेट्ठी परिपड, अहढे जार अपरिसर) ते सौग धिडा नगरीमा सुदर्शन नामे नगर
.