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----... ...... ज्ञाताधर्मकथाङ्गमन्त्रे टोका-तए णं से इत्यादि । ततः खलं स धन्यः मार्थगहोऽन्यदा कदाचित-एकस्मिन् कस्मिंश्चित्समये 'लहसमि रायावराहयि' लधुस्वके राजापराधे-नोके राजकामदानरूपे भृपापगधे सति केनाऽपि पिशुनेन भूपाय 'संपलत्ते' मलपितः अपगधित्वेन कथितो जातश्चाप्यासीत् । ततः . खल्लु-पैशुन्य प्रलपनानन्तर ते नगरगोप्तृका धन्य मार्थवाहं गृह्णन्ति, गृहीत्वा यत्रैत्र चारक. कारागारम्तत्रैवोपागच्छन्ति उपागत्य चारकमनुप्रवेशयन्ति. अनुप्रवेश्य विजयेन तम्करण साईम् 'एगयओ' एकता एकत्र तेन सहैव पकम्मिन इडियाना 'वेडी' इति भापाप्रसिद्ध हडिवन्धनं कुर्वन्ति । ततः ग्बल ला भता भार्या कल्ये यावजवलति-धन्य श्रेष्टिनो डिबन्धनस्य द्वितीयहिकमे मूर्योदये मति विपुलं-विस्तीर्ण स्वपतिमोजनाई म अशनं पानं ग्वाद्य वाद्य नानाविधमशनादिकम् "उचकावडेड' उपकरो-जीरकहिङ.
ताण से धणे मत्थवाहे इत्यादि ।
टीकाथ--(नएण) इसके बाद (से धणे सत्यवाहे) वह धन्यमार्थवाद (अन्नया कयाई) किमी एक समय (लहमयंसि गयावराहमि) टेक्स न देने के छोटे अपराध में (संपलग्गे जाए यावि होत्या) .ना के. पाम किसी 'बुगल बोरने फका हुआ कह दिया। (नएण ते नगरगुत्तिया यण सत्यवाहं गेहति) हमके बाद नगरक्षकोंने उस धन्य
सार्थवाह को पकड लिया। (गेहिता जेणेच चारगे तेणेव उवा च्छंति उवागच्छित्ता चारंग अणुपरिमंति) पकड कर वे उसे जहांकारागार था वहां ले गये, लेजाकर उन्होंने उसे कारागार में बन्द कर दिया । (अणुपविमिना विजण तक्करेण सद्धिं एग यी हडिवंधण करेंनि) बन्द करके उसे जहां वह विजयचोर था वहीं रमीकी वेडो से बांध दिया। रतपण मा भद्रा मारिया कल्लं
(न एणं से धणे सत्यवाहे' इत्यादि !
---(तएणं) त्या२ पछी (से धण्ण सत्यवाहे) धन्यसार्थवाड (अन्नया कया 5 मे मते (लहमयंसि रायावराहमि) ४२ न मा५५ ३थी नाना २१५राध महल (मंपलले जाप यावि होत्या याजियाये सन्तानी पासे पायाधी (नणं तं नगरगुत्तिया चष्ण सत्यवाई गेहंति) त्या माना अन्य धन्य साथ पाउने ५४यो (गेहिता जेणेव चारगे नेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता चाग अणुपविमंति) ५४ीन तेयो तेने सभी 45 गया भने तेभा पुरी सीधा (अणुपरिसित्ता विजपणं नक्करेणं सद्धि एगयओ हडिवंधणं करेंति) त्या विनय नाभे यार तो त्या धन्यसार्थ वाहने ५] मेडीया पाधी हाथी (तएणं सा महा