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________________ ६१० ज्ञाताधर्म कथासत्र मूलम्-तएणं से पंथए दासचेडए देवदिन्नस्स दारगस्स वालग्गाही जाए, देवदिन्नंदारयं कडीए गेण्हइ, गेण्हित्तो बहुर्हि डिंभ एहि य डिंभयाहि य दारएहि य दारियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहिय सद्धि संपरिवुडे अभिरमइ। तए णं भद्दा सत्थवाही अन्नया कयाइं देव. दिन्नं दारयं पहायं कयवलिकम्मं कयकोउलपायच्छित्तं सव्वालंकार विभूसियं करेइ, करिता पंथयस्स दासचेटयस्स हत्थयंसि दलइ।तएण से पंथए दासचेडए भदाए सत्थवाहीए हत्थाओ देवदिन दारगं कडिए गिण्हइ, गिणिहत्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहूहि डिभएहि य डिभियाहि य कुमारएहि य कुमारियाहि य सद्धिं संपारवुडे जेणेव गयमग्गे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता देवदिन्नं दारगं एगंते ठावेइ, ठाविता वहिं डिभएहि य जाव कुमारियाहिय सद्धिं संपरिवुडे पमत्ते यावि विहरइ। इमं च णं विजए तकरे रायगिहस्ल वहणि दाराणि य अवदाराणि य तहेव जाव आभोएमाणे मग्गेमाणे गवेसेमाणे जेणेव देवदिन्ने दारए तेणेव उवागच्छइ, उवा गच्छित्तादेवदिन्नंदारगंसव्वालंकारविभूसियं पोसइ पासित्ता देवदिनस्ल दारगस्त आभरणालंकारेसु मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववन्ने पंथय अक्खयनिहिं च अणुवढेति) बालक के नाम मस्कार होने के पश्चात् मातापिताने उन नाग मादिक प्रतिमाओं की खुव सेवा की-दान दिया-अपने हिस्से में से खूब द्रव्य का वितरण किया और उनके कोप की खूब वृद्धि की ॥मूत्र ६।। दायं च भाय च अवयनिर्हिच अणुवडेति) माना नाम स२४४२ माह બાળકના માતાપિતાએ નાગ વગેરે પ્રતિમાઓની ખૂબ જ સારી પેઠે પૂજા કરી, પુષ્કળ પ્રમાણમાં દાન આપ્યુ, પિતાના ભાગના દ્રવ્યનું બહુ જ પ્રમાણમાં વિતરણ ऽयं मने देवता-माना अपनी यूम अभिवृद्धि श ॥ सू ॥
SR No.009328
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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