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६ भद्रासार्थवाही दोहनवर्णनम् ६०५ खलु विपुलमशनं पान स्वाद्यं स्वाद्यं, सुबहुकं पुष्पवस्त्रगन्धमाल्यालङ्कारं गृहीत्वा मित्रज्ञातिनिजक स्वजन सम्बन्धिपरिजन महिलाभिश्च सार्द्धं संपरिवृता राजगृरस्य नगरस्य मध्यमध्येन निर्गच्छन्ति, निर्गत्य यत्रत्र पुष्करिणी तत्रैवोपागच्छन्ति, उपोगत्य पुष्करिणीमवगाहन्ते, अव गाहय स्नाता कृतवलिकर्माणः सर्वालंकारविभूषिताः तद्ः विपुलमशन पानखावर वाद्यमास्वादयन्त्यः यावत् परिभुञ्जाना दोहदं व्यप
अनगारधर्माणो टीका अ
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(जाओ ण विउलं असण ४ सुबहुयं - पुप्फ- चत्थ- गंध - मल्लालकारं महाय मिनाई - नियम-मयण-संबंधिपरियण महिलाहि य सद्धिं सपरिबुडाओ रायगिहस्त नयरस मज्झ मज्झेणं निग्गच्छति) जो माताएं विपुल अशन पानादि ४ प्रकार के आहार को और बहुत अधिक पुष्प वस्त्र गंध, माला अलंकार को लेकर मित्रज्ञाति, निजक, स्वजन, संबन्धी - परिजन की महिलाओं के साथ घिरी हुइ होकर राजगृह नगर के ठीक बीचो बीच के मार्ग से निकलती हैं । (निग्गच्छित्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छिंति उवा गच्छत्ता पुक्खरिणी ओगाहंति. ओगाहित्ता व्हायाओ कयवलिकम्साओ सन्त्रालंकारविभूसियाओ विउलं असणं आसाएमाणोओ जाव परिभुजे-. माणीओ दोहल विणे) और निकल कर जहां पुष्करिणी है वहां जाती है जा कर उसमें अवगाहन करती हैं, अवगाहन कर स्नान करती हैं- स्नात होकर वलिकर्म वायसादि को अन्नादि का भाग देकर समस्त अलकारों से शरीर को विभूषित करती हैं और फिर उस विपुल मात्रा में निष्पन्न તે માતાઓના જ સામુદ્રિક શાસ્ત્ર પ્રમાણેના શારીરિક લક્ષણા સફળ થયાં છે, ( जाओ णं विल असणं ४ सुबहुयं पुप्फवत्थगंध मल्लालंकारं गहाय मित्तनाइ - नियम- पयण - संबंधिपरियणमहिलाहि यसद्धिं संपरिवुडाओ रायगिहस्स नवरस्य मज्झं मज्झण निग्गच्छति) ने भातासो युष्टुत प्रभाशुभा અશન પાન વગેરે ચાર જાતના આહાર અને ખૂબ જ પુષ્પ, વસ્ત્ર, ગંધ, માળા અને અલ'કારોને લઈને મિત્ર, જ્ઞાતિ, નિજક સ્વજન સુખધી પરિજનની મહિલા એની સાથે રાજગૃહ નગરના વચ્ચો વચ્ચ મામા થઈને પસાર (निग्गच्छित्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता, पुकारिणो ओगाहंति, आगाहित्ता व्हायाओ कयवलिकम्माओ मन्त्रालंकार विभूसियाओ विउलं असणं आपाएमाणोओ जाव परिभुजे माणीओ दोहलं विणेइ) अने पसार थाने ल्या पुष्करिणी हे त्या लय है ત્યા જઈને તેમાં ઉતરે છે, ઉતરીને નહાય છે નહાઈને કાગડા વગેરે પક્ષીઓને અન્નના ભાગ અપીને અલિકમ કરે છે, અને શરીરના બધા અગેને ઘરેણાંઓથી અલંકૃત કરે છે. અને ફરી તે પુષ્કળ પ્રમાણમાં તૈયાર કરવામાં આવેલા અશન
थाय छे.