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५११-५९२
५१३-५१५
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५१६-५१८ ५१८-५४८ ५४९-५६२
५६२-५९२ ५९३-६१३
ग्यारहवां उद्देशा सम्यग्दृष्टि नैरपिकों की उत्पत्ति का निरूपण
बारहवां उद्देशा ५३ मियादृष्टि नैरयिकों की उत्पत्ति का निरूपण
छब्बीसवें शतक का प्रारंभ
पहला उद्देशक छपीसवें शतक के उद्देशकों का निर्देश
करनेवाली गाथा का संग्रह ५५ बन्ध के स्वरूप का निरूपण
नयिकों के बन्ध के स्वरूप का निरूपण ज्ञानावरणीय कर्मको आश्रय करके बन्धके
स्वरूप का निरूपण नैरयिकों के आयुक्रर्म वन्ध का निरूपण
दूपरा उद्देशा चौवीस प्रकार के जीवस्थानों का निरूपण
तीसरा उद्दशा परम्परोपपन्ना नैरयिका के बन्ध का निरूपण
चौथा उद्देशा अनन्तरावगाढ नारकों को आश्रित करके पापकर्म वन्ध का निरूपण
पांचवा उद्देशा परम्पराक्गाढ नारकों को आश्रित करके पापकर्म बन्ध का निरूपण
छट्ठा उद्देशा अनन्तराहारक नारकों को आश्रित करके
पापकर्म बन्ध का निरूपण
सातवां उद्देशा ६४ परंपराहारक नारकों को आश्रित करके
पापकर्म बन्ध का निरूपण
६१४-६२७
६२८-६६१
६३२-६३६
६३७-६३९
६४०-६४३
६४४-६४६
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