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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ११ उ० ११ सू० १० सुदर्शनचरितनिरूपणम् ६०१ ? गृहीतुम् अम्वापितरौ आपृच्छति - आज्ञां याचने 'नवरं धम्मघोसस्स अणगा-' रस्स अंतिए मुंडे भविता अगाराओ अणगारिगं पन्नइसए' नवरं - जमाल्यपेक्षया महावलस्य विशेषस्तु अयमेव यत् - धर्मघोषस्य अनगारस्य अन्तिके - समीपे मुण्डो भूत्वो, अगाराव - गृहात् निर्गत्य - गृहादिक परित्यज्येत्यर्थः, अनगारितां श्रामण्यं प्रवज्यां मत्रजितुम् इच्छामि इति प्रतिपादयति, 'तदेव वृत्तपडित्तयो तथैवनवमशतके त्रयत्रिंशतमोद्देश के जमाकिमकरणोक्तवदेव परस्परं महाबलस्यापि मातापितृभ्यां सह उक्तिप्रत्युक्तिकाः - प्रश्नोत्तराणि भवन्ति तत्र मातुः पितुव उक्तयः - प्रश्नाः, महाबलस्य तु पत्युक्तयः- उत्तराणि अवसेयानि, मातापितरौ दीक्षां-' ग्रहीतुं प्रतिषेधं कुरुतः, महावस्तु दीक्षां ग्रहीतुम् अत्याग्रहं करोतीतिभावः, 'नवरं के लिये मातापिता से पूछा- अर्थात् संयम धारण करने के लिये माता पिता से आज्ञा मांगी, 'नवस्वम्घोस् अणगोस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइप्तए' और ऐसा कहा कि मैं धर्मघोष अनगार के पास मुण्डित होकर गृहादिक का परित्याग करके प्रवज्या धारण करना चाहता हूं - वही विशेषता केवल जमालि की अपेक्षा से महावलकुमार के कथन में जानना चाहिये 'तहेब वृत्तपरिया' नवमशन में ३३ वें उद्देशक में जमालि के प्रकरण में जैसी जत्रालि के मातापिता में प्रश्नोत्तररूप बातचीत हुई, प्रकट की गई है इसी प्रकार की बातचीत यहां पर भी परस्पर में महावल और उसके माता पिता की हुई है ऐसा जानना चाहिए। मातापिताने प्रश्न किये और महाबल ने उनके प्रश्नों के उत्तर दिये इन प्रश्नोत्तरों का तात्पर्य केवल इतना ही है कि मातापिता ने दीक्षा ग्रहण करने के लिये निषेध किया और महा भाटे भातापितानी अनुभति भागी. " नवरं धम्मघोसरख अणगाररम अंतिए मुडे भक्त्तिा अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए " भासीना उथन उरतां भडाण કુમારના કથનમાં મહી એટલી જ વિશેષતા સમજવી કે 'हु धर्मघोष અણુગારની પાસે ક્રુડિત થઈને ગૃહસ્થાવસ્થાના પરિત્યાગ કરીને અણુગારા-' वस्था (प्रमन्या) सगीर ४२वा भागु छु " " तद्देव वृत्त परिवृत्तया " જમાલીએ જયારે પ્રત્રજ્યા અ'ગીકાર કરવા માટે તેના માતાપિતાની અનુમતિ માગી હતી ત્યારે તેને તેના માતાપિતા સાથે જેવે! સવાદ થયા હતા, એવેા જ સંવાદ મહાખલ અને તેના માતાપિતા વચ્ચે પણ થયે, એવુ કશ્ત અહીં ગ્રહણ કરવાનું છે. નવમા શતકના ૩૩માં ઉદ્દેશામા તે વાદ આપवामां भाव्यो छे. आा संवारना आवार्थ नीये अभी समन्वो महामा કુમારના માતાપિતા સાંસારિક સુખા તરફ તેને આકવાના પ્રયત્ન કરે છે, भ० ७६
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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