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________________ प्रमैrefront टीका श० १२ २०११ ० १ सुदर्शन चरितनिरूपणम् ' चौकी' पदाच्यानि, अष्टौ रूप्यमयानि पादपीठानि, अष्टौ सुवर्णरूप्यमयानि पादपीठानि, 'अ सोवन्नियाओ मिसियाओ, अह सोवन्नियाओ करोडियाथो' अष्टौ सौवणिकी:- सुवर्णनिर्मिताः, भिसिकाः- आसन विशेषरूपाः, अष्टौ सौवणिकी:-सुनिर्मिताः, करोटिका :- पात्रविशेषरूपाः ताम्बूलपात्राणि 'अट्ट सोवणि पल्लेके, अट्ट सोणियाओ पडिसेज्जाओ' अष्टौ सौवर्णिकानि - सुवर्णनिमितानि, पल्यङ्गानि, अष्टौ सौवर्णिकी:- सुवर्ण निर्मिताः, प्रतिशय्याः - उत्तरशय्याः, लघुशय्याः इत्यर्थः, 'अट्ठ हंसासणाई, अट्ठ कौचासणाई, एवं गरुलासणाई, उन्नयासणार, दीहासणाई, भद्दा येणार, पक्खासणार, सगरासणाई' अष्टौ हंसासनानि-हंसाका एलक्षित नि आमनानि, अष्टौ क्रौंचासनानि-क्रौञ्चाकारोपलक्षितानि आसनानि, एत्रमेन- अष्टौ गरुडासनानि, गरुडाकारोपलक्षितानि आसनानि, उन्नतासनानि - उन्नताधारीपलक्षितानि आसनानि, प्रणतासनानि - ५८५ में इसे चौकी भी कहते हैं । 'अड सोवन्नियाओ मिलियाओं, यह सोनियाओ करोडियाओ' सोने के बने हुए आठ ही विशेष आन दिये और आठ ही सोने के बने हुए पान रखने के डिब्बे दिये 'अड्ड सोन्निए पल्लेके, अट्ठ सोवन्नियाओ पडिलेज्जाश्रो' खोने के बने हुए आठ पलंग दिये और सोने की बनी हुई आठ ही प्रतिशय्याएँ छोटी २ शय्याए दो 'अट्ठ हंसासणारं, अट्ठ कोंचासणाई, एवं गरुलासणाई', उन्नयासणाई' पणयासणाई दीहासणाई, महासणाह, पक्खासणाई, मगरासणाई, आठ ही सोने के बने हुए हंस जैसे आकारवाले आसन दिये, आठही क्रौंच के आकार जैसे सोने के बने हुए आसन दिये, आठ ही गरुड़ पक्षी के जैसे सोने के बने हुए गरुडासन दिये, आठ ही सोने के ચાંદીના બનાવેલા પાદપીઠ ખાજોઠ દીધા (પલ`ગ પર ચડવા ઉતરવા માટે તેના ઉપयोग थाय छे तेथी तेने पाहचीड आहे . " अट्ठ सोवन्नियाको भिमियाओ, अट्ठ सोवन्नियाओ करोडियाओ" सुवार्थनिर्मित आहे यासनविशेष द्वीधां भने पान રાખવા માટે માઢ સુવર્ણ નિર્મિત પાનદાનીએ દીધી. “ rg वन्निए प rg सोनिया पडिसेज्जाओ " सोनाना मनावेसा भाई यसग हीधा भने सोनानी मनावेसी आठ प्रतिशय्या-नानी नानी शय्याओ हीधी अट्ठ हंसासणाई', अट्ठ कोंचासणाई, एवं गरुलासणाइ, उन्न्यासणाई दीहाणाई, भद्दा - मणाई', पवासणाई, मगरासणाई " હસના આકારના સુવર્ણ નિમિત સ્ત્રા આસના, ક્રોચના આકારના સુવ નિમિત આઠ આસના, ગરુડના આકારના भ० ७४
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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