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भगवतीसूत्रे कालो सुसमा, दोसागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमदुसमा, एग सागरोवम कोडाकोडी, वयालीसाए, वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दुसमसुसमा एकवीसं वाससहस्साई कालो दुसमा, एकवीसं वाससहस्साई कालो दुसमदुसमा पुणरवि उस्सप्पिणीए एकवीसं वाससहस्साई कालो दुसमदुसमो,एकवीसं वाससहस्साई, जाव-चत्तारि सागरोवमकोडाकोडी कालो सुसमसुसमा, दस सागरोवम कोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी, दस सागरोवम कोडाकोडीओ कालो उस्सप्पिणी, वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ अवसप्पिणी; उस्सप्पिणी य ॥ सू० ३ ॥ ___ छाया-अथ किम् तद् औपमिकम् ? औपमिकं द्विविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथापल्योपमं च, सागरोपमञ्च, अथ कि तत् पल्योपमम्, अथ कि तत् सागरोपमम् ? 'शस्त्रण सुतीक्ष्णेनाऽपि छेत्तुम्, भेत्तुं च यं किल न शक्ताः, तं परमाणु सिद्धा
__ उपमेय काल - पल्योपम सागरोपम वक्तव्यता‘से किं तं उवमिए' इत्यादि
सूत्रार्थ- (से किं तं उवमिए ?) हे भदन्त ! वह औपमिककाल क्या है ? (उवमिए दुबिहे पण्णत्ते) हे गौतम! उपमितकाल दो प्रकार का कहा गया है। (तं जहा) जैसे कि-(पलिओवमे य सागरोवमे य) एक पल्योपम और दूसरा सागरोपम । (से कि त पलिओवमे, से किं तं सागरोवमे?) हे भदन्त! वह पल्योपमकाल क्या है ? और सागरोपम काल क्या है ? (सत्येण सुतिक्खेण, वि
ઉપમેયકાળ-પાપમની-સાગરેપમ વક્તવ્યતા“से किं तं उवमिए" त्या
सूत्राथ-(से किं तं उवमिए ?) महन्त ! ते मोपभि४ बु छ। (उवमिए दुविहे पण्णत्ते) ७ गीतम! मीपभि नामे जा२ ४ा छे. (तंजहा) तेने असर मा प्रभारी छ-(पलिओवमे य, सागरावमे य) (१) पक्ष्यायम मन (२) साग२५म(से कि तं पलिओवमे, से कि तं सागरोवमे !) से मत ! पक्ष्यापम 10 मे ? सागरापम ४१ मे शु? ( सस्पेण