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________________ ७०२ भगवतीमत्रे ____ महाशिलाकण्टकसग्रामनामवक्तव्यता । महाशिलाकण्टकसंग्रामस्य तन्नामकरणहेतुं पृच्छति-से केणटेणं' इत्यादि । मूलम्-'से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ महासिलाकंटए संगाले ? गोयमा! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वा, हत्थी वा, जोहे वा, सारही वा तणेण वा, पत्तेण वा, कटेण वा, सकराए वा, अभिहम्मइ सवे से जाणेइ महासिलाए अहं अभिहए, से तेणढणं गोयमा ! एवं वुच्चइ महासिलाकंटए संगामे। महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वहमाणे कइ जणसयसाहस्सीओ वहियाओ? गोयमा ! चउरासीइं जण सय साहस्सीओ वहियाओ। तेणं भंते मणुया निस्सीला, जान निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा, स्ट्रा, परिकुविया, समरवहिया, अणुवसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया, कहिं उववन्ना ? गोयमा ! ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना ॥सू० ३॥ छाया-तत्केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-महाशिलाकण्टकः संग्रामः? गौतम ! महाशिलाकण्ट के खलु संग्रामे वर्तमाने यस्तत्र अश्वो वा, हस्ती वा, योधो वा, ___ 'से केणद्वेणं भंते ! एवं बुचई' इत्यादि । सवार्थ-(से केणगुणं भंते ! एव बुच्चइ, महासिलाकंटए संगामे) हे भदन्त ! उस संग्रामका महाशिलाकण्टक संग्राम ऐसा नाम कैसे हुआ ? (गोयमा) हे गौतम ! (महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे 'से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चई' Uail: सूत्रा- (से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ, महासिलाक टए सगामे ? ) 3 - 1 ते सामर्नु नाम 'भशिखाट४ सयाम' शामाटे ५७यु (गोयमा!) 3 गीतम! (महासिला क टएणं स गामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वा, हत्थी वा
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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