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प्रमेयचन्द्रिकाटीका श. ७ उ. ३ सृ.५ वेदना निर्जरास्त्र रूपनिरूपणम्
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अणम्मि समए णिज्जरेंति' अन्यस्मिन् समये वेदयन्ति, अन्यस्मिन् समये निर्जरयन्ति, 'अण्णे से वेयणासमए, अण्णे वे णिज्जरासमए ' अन्यः स वेदना समयः, अन्य स निर्जरासमयः, तदुपसंहरति- 'से तेणद्वेणं जाव न से वेणासमए' हे गौतम! तत् तेनार्थेन यावत्-एवमुच्यते नैरयिकाणां यो वेदना समयः न स निर्जरासमयः, यो निर्जरासमयः न स वेदनासमयः 'एवं जाव - वेमाणियाणं' एवं नैरयिकवदेव यावत् - भवनपतिमारभ्य वैमानिक पर्यन्तानां यो वेदनासमयः न स निर्जरासमयः, या निर्जरासमयः, न स वेदनासमयः || सू० ५ ॥
उसकी निर्जरा करते है उस समय में वे उसका वेंदन नहीं करते हैं । 'अण्णम्मि समए वेदेति, अण्णम्मि समए णिजरेंति' किन्तु अन्य समय में वेदन करते है और अन्य समय में निर्जरा करते है। इस तरह 'अण्णे से वेयणासमए अण्णे से णिज्जरासमए' वेदना का वह समय भिन्न है और निर्जरा का वह समय भिन्न है । 'से तेणट्टेणं जाव न से वेयणासमए' इस कारण हे गौतम! मैंने ऐसा कहा है कि नैरयिक्त जीवोंका वेदना का जो समय है, वह निर्जराका समय नहीं है और जो निर्जरा का समय वह वेदना का समय नहीं है । 'एवं जाव वैमाणियाणं' नैरयिक की तरह से ही भवनपति से लेकर वैमानिकतक देवों का जो वेदना समय है वह उनकी निर्जरा का समय नहीं है और जो निर्जरा का समय है वह उनका वेदना का समय नहीं है | सू० ५ ||
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નિરા કરતા નથી, અને જે સમયે તેએ કર્મીની નિરા કરે છે, એ જ સમયે તેનું વેદન કરતા નથી. अण्णम्म समए वेदेति, अण्णम्मि समए णिज्जरे ति પરન્તુ જે સમયે વેદન કરે છે તેના કરતાં અન્ય સમયે નિરાકરે છે. આ રીતે " अण्णे से वेणासमए, अण्णे से णिज्जरासमए' वेहनानी ने समय छे ते पशु ભિન્ન છે અને નિરાને સમય છે તે પણ ભિન્ન છે એટલે કે બન્ને એક જ સાથે थती नथी ' से तेणद्वेणं जाच न से वेयणासमए ' हे गौतम! ते आरो મે એવું કહ્યું છે કે નારક વેાને જે વેદનાના જે સમય છે, એ જ નિજ રાને! સમય नथी, मने निर्भशनो ने समय छे, मे ४ वेहनानो समय नथी 'एवं जाव वेमाणिया णं ' ભવનપતિથી લઇને વૈમાનિકા સુધીના દેવાનુ વેદના અને નિરાનું થન, નારકાના વેદના અને નિરાના કથન પ્રમાણે જ સમજવું એટલે કે તેમની વેદનાને અને નિરાના સમય એક જ હાતે નથી, પણ જુદા જુદા હાય છે, એમ સમજવું હાસૂ પા