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४४२ . . . . . . . . “भगवतीसूत्रो
छाया-स्याद् भदन्त ! कृष्णलेश्यो नरयिकः अल्पकर्मतर, नीललेल्यो नैरयिको महाकर्मतरः ? हन्त, स्यात् । तत् केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-कृष्णलेश्यो नैरयिकः अल्पकर्मतरः, नीललेश्यो नैरयिकः महाकर्मतरः ? गौतम ! स्थिति प्रतीत्य, तत् तेनार्थेन गौतम ! यावत्-महाकर्मतरः । स्यात् भदन्त ! नील- कृष्णलेल्यादिवाले जीवोंकी - अल्पकर्मत्व महाकर्मत्ववक्तव्यता 'सिय भंते ! कण्हलेस्ले नेरइए' इत्यादि । ___ सूत्रार्थ-(सिय अंते ! कण्हलेस्से नेरइए अप्पकम्मतराए, नीललेस्से लेरइए महाकम्मतराइ) हे भदन्त ! क्या ऐसा हो सकता है कि कृष्ण लेश्या वाला नारकजीव तो अल्पकर्मवाला हो, और नीललेश्यावाला नारक जीव बहाकर्मवाला हो ? (हंता सिया) हां गौतम ! ऐसा हो सकता है। (से केणटेणं अंते ! एवं चुच्चद) हे भदन्त । ऐसा किस कारणसे आप कहते हैं कि (कण्हलेस्से नेरइए अप्पकम्मतराए, नीललेम्ले नेइए महाकम्मतराए) कृष्णलेश्यावाला नारकजीव अल्पकर्मवाला हो सकता है और नीललेश्यावाला नारकजीव महाकर्मवाला हो सकता है । ( गोयमा ) हे गौतम ! (ठिई पडुच्च-से तेणद्वेणं गोयमा जाव महाकम्मतराए)स्थितिकी अपेक्षा लेकर ऐसा हो सकता है-इसी लिये मैंने ऐसा कहा है कि कृष्ण लेश्यावाला नारक जीव अल्पकर्सवाला हो सकता है और नीलકૃણ લેહ્યાદિવાળા જેની અ૫કત્વ–મહામત્વ વક્તવ્યતા–
"सिय भंते! कण्डलेस्से नेरइए" त्याह
सूनाथ - (सिय भंते ! कण्हलेम्से नेरइए अप्पकम्मतराए, नीललेस्से नेहए महाकम्मतराए ? ) मान्त ! शु मे सनकी श छ वेश्यावाणा ના-ક જીવ અપકર્મવાળે હોય છે, અને નીલ વેશ્યાવાળે નારક છવ મહાકર્મ વાળે हाय छ ? (तालिया), गौतम ! गे ससपी छे. (से केणटेणं मंते ! एवं अइ ?) म । मेj २५ ॥ ॥ छ। 3 ( कण्डलेसे नेरइए अपसम्मतराए नीललेरसे नेरइए महाकायतराए) ४ देश्या वाणा નારક છત્ર અ૫કમવાળે હેઈ શકે છે અને નીલ વેશ્યાવાળે છવ મહાકર્મવાળો डा २ छ ? (गोयमा) हे गौतम ! (ठिई पडुच्च-से तेणद्वे णं गोयमा ! जीव महाकम्मतराए) स्थितिनी अपेक्षा मे समपी श छ, ते २0 में मेवु यु । कण्हलेस्ले नेरइए अप्पकम्मतराए नीललेस्सो नेरइए महाकम्मतराए કૃષ્ણલેશ્યાવાળે નારક જીવ અપકર્મવાળો હોઈ શકે છે અને નીલલેશ્યાવાળી નારક જીવ મહાકર્મવાળે હોઈ શકે છે