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________________ ७४ भगवतीमत्रे एका 'लिक्षा' इत्युच्यते, 'अट्ठ लिक्रवाओ सा एगा जूया' अष्ट लिक्षाः सा एका युका इत्युच्यते, 'अट्ट जूयाओ से एगे जबमज्ने' अष्टयूकाः तद् एकं यवमध्यमुच्यते, गट्ट जवमझाओ से एगे अंगुले' अष्टौ यवमध्यानि तत् एकम् अङ्गलमुच्यते । 'एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलानिपादो' एतेन उपरिवर्तितेन अङ्गलप्रमाणेन पडलानि एकापाद उच्यते, 'वारस अंगुलाई विहत्यी' द्वादश अगलानि एका वितस्तिः अर्धहरतः, 'चउवींस अंगुलाई रयणी' चतुर्विशसिरङ्गलानि रनिः एकहस्तममाणम् , 'अडयालीसं अंगुलाई कुच्ची अष्टाचत्वारिंशद् अङ्गुलानि कुतिः, हस्तद्वयप्रमाणम् छनउइ अंगुलाणि मणुस्साण अट्ट बालग्गा मा एका लिक्खा' पूर्वविदेहके मनुष्योंके जो आठ वालाग्र होते हैं उन के बराबर एक लिक्षा होती है 'अट्टलिक्खाओ सा एगा जूया, अह जूयाओसे एगे जवमन्झे, अट्ठजयमझाओ से एगे अंगुले' आठ लिक्षाओंका एक जू होता है । आठ जूका एक यवमध्यभाग होता है । तथा आठ यवमध्योंका एक भंगुल होता है। 'एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलानि पादो' इस अंगुलप्रमाणसे ६ अंगुलोका एक पाद होता है । 'चारस अंगुलाइंविहत्थी' १२ अंगुलोंका एक बेंत-पीता होता है अर्थात आधा हाथ होता है। 'चउवीसं अंगुलाई रयणी' २४ अंगुलका एक हाथ होता है। अडयालीस अंगुलाइंकुच्छी' ४८ अंगुलोंकी एक कुक्षी दो हाथ होती है । 'उन्नउह अंगुलानिसे एगे दंडेह वा' ९६ अंगुलाका एक दण्ड होता है । अथवा । माताय थाय छे 'एवं पुन्वविदेहाणं मणुस्साणं अट्ट वालग्गा सा एगा लिक्खा' पूविना मनुष्याना मा मासायोना प्रभावी मे लिAL (elm)हाय छ, 'अट्ट लिक्खाओ सा एगा जया, अठ्ठ जूयाओ से एगे नवमग्न भट्ट जवमज्झाओ से एगे अंगुले' मा दामना २८सा प्रभावामी " હોય છે, આઠ જ જેટલા પ્રમાણુવાળે એક જવમધ્યભાગ હોય છે અને આઠ યવમ જેટલા પ્રણાવાળું એક અંગુલ હેાય છે. 'एए णं अगुळपमाणेणं छ अंगुलानि पादो' मा मल प्रभाएने माघार गत ४२ता साना मे 'पा याय छे. 'वारस अगुसाई विहत्या मार मागनी ४ त थाय छ (वेत मे मिर्धा य २८ भा५). 'चउवीस अगुलाई रयणी' २४ मनुसनी ०५२।१२ मे हाथ थाय है. 'अडयालीसं अगुलाई कुच्छी' ४८ मखनी सम२ ४ ४क्षी (मे काय रे भा५) याय 8. 'छम्नउड अंगुलानि से एगे दंदेइ वा ६ मसना मे४ थाय छ, भयवा
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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