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भगवती सूत्रे
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एकगुणकालकोऽपि पुद्गलः सार्धः, समध्यः सप्रदेशः स्यात्, तदेव पूर्ववदेव नो अनर्धः, अमध्यः, अप्रदेशः स्यात्, ' अह ते एवं ण भवइ तो ' अथ यदि ते तव बुद्धिविषये एवम् - उपर्युक्तरूपं न भवति तथाभिमतं नो चेत् तदा ' जं वयसि - दादेसेण वि सव्यपोग्ला सभड्डा, समज्झा, सपएसा, जो अणड्ढा, अगज्झा, अपएसा ' यत् त्व वदसि - द्रव्यादशेनापि सर्वपुद्गलाः सार्धाः, समयाः, सप्रदेशाः, नो अनर्धाः अमध्याः, अपदेशा:, 'एव खेत-काल- भावादेसेण वि एवं तथैव क्षेत्रादेशेनापि कालादशेनापि भावादेशेनापि सर्वपुद्गलाः सार्धाः समध्याः, समदेशाः, नो अनर्धाः, अमध्याः, अप्रदेशाः इति. 'तं णं मिच्छा' तत् खलु सर्व त्वदुक्तं मिथ्या असत्यमेव, विपरीतनया प्रतिपादितत्वात् । ' तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं क्यासी' ततः खलु स नारदपुत्रोऽनगारः निर्ग्रन्थीतं चेत्र ) एकगुणकालक भी पुद्गल कृष्णवर्ण के एक अंशवाला भी पुद्गल - सार्ध, मध्य और सप्रदेश हो जावेगा - अनर्थ ' अमध्य और अप्रदेश नहीं रहेगा ( अह ते एवं न सबइ ) यदि तुम कहो कि ऐसा तो होता नहीं है तो फिर ( जं वयसि ) जो तुम ऐसा कह रहे हो कि ( दव्वादेसे कि सन्त्रपोगस अड्डा, समज्झा सपएसा, जो 'अणड्डा, अमज्झा अपएस) द्रव्य की अपेक्षा से भी समस्त पुद्गल सार्धं समध्य और सप्रदेश हैं - वे अनर्ध असध्य प्रदेश नहीं हैं, ( एवं खेत्तकाल - भावादेसेण वि ) क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा से भी ऐसे ही हैं, (तं णं मिच्छा ) सो यह तुम्हारी समझ मित्था ही है क्यों कि यह सब तुमने विपरीत रूप से प्रतिपादन किया है । इस प्रकार निन्थीपुत्र अनागार का युक्तियुक्त कथन सुनकर ( से नारयपुत्ते अणगारे ) उन नारदपुत्र
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કૃષ્ણ વર્ણના એક અશવાળા પુદ્ગલને પણ–સા, સમધ્ય અને સપ્રદેશ માનવુ’ पडशे. तेने पशु अनर्थ, अमध्य मने प्रदेश भानी शम्शे नहीं. ( अह ते एवं न भवइ) ले आप सेम डेता है! } येवु तो जनी शड़े नहीं, तो ( जं वयसि ) न्याय मेवु ? अहो छ। उ ( दुव्वादेसेण वि सव्त्र पोग्गला सअड्ढा, समझ', सपएसा, जो अणदृढा, अमज्झा, अपएसा ) द्रव्यनी अपेक्षा याशु સમસ્ત પુદ્ગલા સાધ, સમધ્ય અને સપ્રદેશ છે, અનધ, અમધ્ય અને અપ્રદેશ नथी, ( एवं खेत्तकालभावादेसण वि) क्षेत्र, आज भने लावनी अपेक्षाओ या शोवु छे, ) ( तं णं मिच्छा ) तभारी ते मान्यता छोटी छे, आरए કે તમે તેનું પ્રતિપાદન વિપરીત રીતે કર્યુ છે.
નિગ્ર'થીપુત્ર અણુગારનું આ યુક્તિયુકત ( ચૈાગ્ય પ્રમાણેા દ્વારા સાબિત शयेद्धुं ) ¥थन सांलजीने ( से नाश्यपुत्ते अणगारे ) नारहपुत्र आशुगारे (निय -