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भगवतीसूत्र ही भाग, से उसको पूरे को स्पर्श करता है ? जब वह द्वितीय विकल्प के अनुसार उसे स्पर्श करता है तो इसका तात्पर्य यह होता है कि वह उसे पूरे को स्पर्श नहीं करतो है-अर्थात् अधूरे को स्पर्श करता है। तथा.तृतीय विकल्प में ही. यह बात आती है कि वह उसे पूरे को स्पर्श करता है ? अतः द्वितीय और तृतीय विकल्प में भिन्नता ही है ऐसा. जानना चाहिये । इस तरह एक परमाणु अपने एक हिस्से द्वारा-दूसरे परमाणु के एक, अनेक भागों को और उस पूरे को स्पर्श करता है तो ये तीन विकल्प होते हैं। तथा जब ऐसा कहो जावेगा कि एक परमाणु अपने अनेक देशों द्वारा दूसरे परमाणु को स्पर्श करता है तो यहां पर भी तीन विकल्प होते हैं और वे इस तरह से हैं-जब एक परमाणुअपने अनेक भोगों द्वारा दूसरे परमाणु का स्पर्श करेगा तो क्या वह उसके.एक देश को स्पर्श करेगा या उसके अनेक देशों को स्पर्श करे-- गा? या उसे पूरे को स्पर्श करेगा? और जब ऐसा कहा जावेगा.किएक-पगल-परमाणु अपने सर्व से-अपने निज के पूर्णरूप से-दूसरे-पुत्गल परमाणु का स्पर्श करता है तो यहां पर भी तीन विकल्प उठते हैं. और वे इस इस प्रकार से-जब एक पुद्गल परमाणु अपने सर्वरूप से: दूसरे पुद्गल परमाणु का स्पर्श करेगा तो क्या वह उसके एकदेश-कास्पर्श-करेगा? या अनेक देशों का स्पर्श करेगा ? या सम्पूर्ण का स्पर्श करेगा? इन समस्त प्रश्नों का एक शब्द में उत्तर देते हुए प्रभुने गौतमः को.कहा-कि हे गौतम! परमाणु जब दूसरे परमाणु का स्पर्श करेगा तब वह अपने पूर्ण रूप से ही उसके पूर्णरूप को स्पर्श करेगा-अधूरेरूप से नहीं। इस प्रकार से समाधान करने का कारण यह है कि परमाणु निरंश होता है-उस के देश वगैरह नहीं होते हैं। अत: आठ विकल्पों पद्धति अनुसार ते मन्नेना २५शन प्रतिपादन यु-न्यारे मे ५२मा पुगत બીજા પરમાણુપુલને સ્પર્શ કરે છે, ત્યારે તે આખે આખું પરમાણુપુલ બીજા આખે આખા પરમાણુપુલને સ્પર્શ કરે છે” હવે આ પ્રકારના પ્રતિપાદનનું કારણ સમજાવતાં સૂત્રકાર કહે છે કે પરમાણુ નિરંશ (અવિભાગી) હોય છે. તેના દેશ (ભાગ) મહેતા જ નથી તેથી તેના એક ભાગ અથવા અનેક ભાગે સાથે બીજા પરમાણુના એક ભાગ, અનેક ભાગ કે સમસ્ત ભાગોની સ્પર્શ નાની વાત જ સંભવી શકતી નથી. એ જ પ્રમાણે સમસ્ત પરમાણુ પુલ સાથે બીજા પરમાણુ પુલના એક ભાગ અથવા અનેક ભાગને સ્પર્શ પણ સંભવી શકતું નથી. આ રીતે પહેલાં આઠ વિકલને સ્વીકાર થઈ શકે નહીં.