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मैन्द्रका टीका शे०९ ९०४ सू०११ केवली वणी नमनोवचः निरूपणम् ३०१
काराः प्रज्ञप्ताः - तान् द्विमकारान् आह - ' तं जहा माइमिच्छादिट्ठी उपवनगा य, अमाई सम्मदिको उपपन्नगा य, 9 तद्यथा मायमिथ्यादृयुपपन्न काथ - अनादि मायामिध्यादृष्टिरूपे कुत्रासनात्रासितलात् कियन्तो वैमानिकेषु मायिमिथ्या दृष्टिरूपेग उत्पन्ना भवन्ति, अमायिसम्यग्रदृष्टयुपपन्नकाश्च कियन्तश्च सदाचरण जन्यशुभभावना भावितत्वेनोत्यन्नविवेकतया मायारहित सम्यग्दृष्टिरूपेण उत्पन्ना भवन्ति, ' तत्थणं जेते माहमिच्छा दिट्ठी उववन्नगा ' तत्र तेपां मध्ये खलु ये ते मायिमिध्यादृष्टयुपपन्नकाः वैमानिकाः ' ते ण जाणंति, न पासंति' ते मायि मिथ्यादृष्टयुपपन्नका न तद् जानन्ति, न वा पश्यन्ति, अथच ' तत्थणं जेते अमाई
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सुनो - मैं तुम्हें बताता हू कि केवलज्ञानी के प्रकृष्ट मन और वचन को सब ही वैमानिक देव क्यों नहीं जानते और देखते हैं - देखो - वैमानिक देव दो प्रकार के कहे गये हैं- ' तं जहा ' वे ये हैं- ' माइमिच्छादिट्ठी उववन्नगाय, अमाई सम्मदिडी उबवनगा य ' एक तो मायी मिथ्याहष्टियों में उत्पन्न वैमानिक देव और अमायी सम्यकदृष्टियों में उत्पन्न वैमानिक देव जो अनादिकाल से माया और मिथ्यादृष्टिरूप कुवासना सेवासित बने रहते हैं वे किननेक जीव वैमानिक देवों में मायी मिथ्यादृष्टिरूप से उत्पन्न हो जाते हैं और जो अमायी सम्यग्दृष्टियों में उत्पन्न होते हैं वे कितनेक जीव सदाचरण जन्यशुभ भावना से भावित होने के कारण उत्पन्न विनेक वाले हो जाने से मायारहित सम्यग्दृष्टिरूप से वहां उत्पन्न होते हैं । ' तत्थ णं जे ते माइमिच्छादीही उववन्नगा ' इन जो मी मिथ्यादृष्टिरूप से उत्पन्न वैमानिक देव हैं ' ते ण जाणंति, न पासंति ' वे केवल ज्ञानी के प्रकृष्ट मन और वचन को नहीं जानते ( माइमिच्छादिट्ठी उववन्नगा य, अमाई सम्मदिट्ठी उववन्नगा य ) (૧) માથી મિથ્યા દષ્ટિચામાં ઉત્પન્ન થયેલા વૈમાનિક દેવા. (૨) અમાયી સમ્યક્ દૃષ્ટિચામાં ઉત્પન્ન થયેલા વૈમાનિક દેવા.
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જે જીવા અનાદિ કાળથી માયા અને મિાદષ્ટિ રૂપ કુવાસનાથી યુક્ત રહેલા હાય છે, એવાં કેટલાક જીવા વૈનિક દેવામાં માયી મિથ્યાષ્ટિ રૂપે ઉત્પન્ન થાય છે. અને જે જીવા સદાચરણ જન્ય શુભ ભાવનાથી ભાવિત ડાય અને માયારહિત હાય છે, તેએ વૈમાનિકમાં અમાયી સમ્યક્દૃષ્ટિ રૂપે
ઉત્પન્ન થાય છે.
“ तत्थणं जे ते माइमिच्छादिको उपवन्नगा, ते ण बाणति, न पासति " આ ખન્ને પ્રકારના વૈમાનિકામાંના માથી મિચ્છાદષ્ટિ વૈમાનિક ધ્રુવેશ કેવળ ज्ञानीना अदृष्ट भन याने वथनने लघुता नधी अने हेमता नधी. ( तत्थणं ने