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माती इति वा, अत्यन्तान्धकारानृतत्वात् सप्तमनारकपृथिवीसदृशत्वात् 'माघवती ' इति नाम ४, वातपरिघा इति वा, वात्यावत् अन्धकारमयत्वात् दुर्लङ्ध्यत्वाच्च ' वातपरिघा' इति नाम ५ - नातपरिक्षोभा इति वा, वात्यावदेवान्धकारानृतत्वात् परिक्षोभ हेतुत्वाच्च वातपरिक्षोभा इति नाम६, 'देवपरिघा' इति वा, देवानाम् अगलेच दुर्लभ्यत्वात् 'देवपरिवा' इति नाम७, देव परिक्षोभा इति वा देवानां
ऐसा है | ( मघा ) यह छठवें नरक का नाम है । ( माघवी ) यह सप्तम नरक का नाम है- सो ससम नरक जैसा गाढ अंधकार से आवृत रहता है उसी प्रकार ये कृष्णराजियां भी अत्यन्त - गाढ - अन्धकार से आवृत रहती हैं अतः इनका चौथा नाम (माधवईह या) ऐसा है । (बायफलिहाइ वा) जैसे बघूरा (आंधी) अन्धकारमय होता है और दुर्लप होता हैउसी प्रकार से ये कृष्णराजियां भी हैं - अतः उसके साहय से इनका भी पांचवां नाम ( वातपरिघा) ऐसा है । ( वायपलिक्खो भाइ वा ) तथा वात्या - वधूरे की तरह ही अन्धकार से आवृत होने के कारण और परिक्षोभ की हेतुभूत होने के कारण इनका ६ वां नाम (वात परिक्षोभा) ऐसा है । (देवफलिहाइ वा ) देवों के लिये ये अर्गला की तरह दुर्ल होती हैं- इस कारण इनका ७ वां नाम देव परिघा ऐसा है । (देवपलिखोभाइ वा ) देवों के लिये परिक्षोभ की कारण होने से इनका ८ वां नाम (देवपरिक्षोभा) ऐसा है । इस तरह ये इनके आठ सार्थक नाम हैं ।
( भधा ) छे (४) ( माधवी ) मा सातभी नरहुनु नाम छे. प्रेम सातभी નરક અતિશય ગાઢ અંધકારથી છવાયેલી છે, તેમ આ કૃષ્ણરાજિએ પણ ગાઢ मधारथी माग्छाहित होय छे, तेथी तेनु थोथु नाम (माघवई ई वा ) 'भाधवी' छे. (५) ( वायफलिहाइ वा ) देवी रीते वधूरा ( वटाजियो ) अधारभय અનેદુય (જેને પાર જવુ મુશ્કેલ થઈ પડે એવા ) હાય છે, તેમ કૃષ્ણરાજિ પણ અંધકારમય અને દુય હાય છે. તે કારણે તેમનુ' પાંચમુ` નામ “ वातपश्धिा ” छे. (१) ( वायपलिक्खोभाइ वा ) तथा वधूरानी प्रेम संध કારથી વીંટળાયેલ હાવાને કારણે પરિક્ષોભની જનક હાવાને લીધે તેમને " वातपरिक्षोआ " या डे छे. ( देवफलिहाइ वा ) ते देवाने भाटे अर्गला ની જેમ દુષ્ય હાવાને કારણે તેનું સાતમું નામ દેવપરા ” છે. (૮) ( देवप लिक्खोभाइ वा ) देवानां पशु परिक्षोल उत्पन्न करनारी होवाथी तेनु આઠસુ નામ ← દેવ પરિક્ષેાભા ’ આ રીતે તેના આઠ સા & ( मर्थ प्रभा) नाभ छे.
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છે.