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________________ भंगवतीस्त्र १०१४ 'अभव्याः ' तदुभयनिषेधाच तथैव, 'संज्ञिनः ' ' असंज्ञिनः ' 'नो सज्ञि-नो असंज्ञिनश्च तथैव, ' 'सलेश्याः ' कृष्णादिपड्लेश्याः, ' ' अलेश्याश्च' तथैव, 'दृष्टिः ' सम्यग्दृष्टिः, मिथ्यादृष्टिः, मिश्रदृष्टिश्च तथैव, 'संयताः ' असंयताः, संयतासंयताः, नोसंयत-नोअमंयत-नोसंयतासंयताश्च तथैव, ' कपायिणः । क्रोध-मान-माया-लोभकपायिणः, अपायिणश्च तथैव, ‘ज्ञानिनः' मति( सपएसा ) इस प्रकरणमें काल की अपेक्षासे जीव सप्रदेश भी हैं और अप्रदेश भी हैं यह बात एकत्व और बहुत्य दण्डकों द्वारा प्रतिपादित की गई है। (आहारग) इस प्रकरणमें आहारक जीव और अनाहारक जीव सप्रदेश भी हैं और अप्रदेश भी हैं यह बात एकत्व बहुत्व दण्डकों द्वारा प्रतिपादित की गई है। भव्य जीव, अभव्य जीव, तथा नो भव्य नो अभव्यजीव प्रकरणमें भव्य जीव, अभव्य जीव तथा नो भव्य नो अभव्य जीव भी इसी तरह से हैं यह बात प्रतिपादित की गई है, संज्ञी असंज्ञी तथा नो संज्ञी नो असंज्ञी प्रकरण में संज्ञी जीव असंज्ञी जीव और नो संज्ञी नो असंज्ञी जीव भी इसी तरह से हैं यह बात प्रतिपादित की गई कृष्णादि छह लेश्यावाले जीव और लेश्याओं से रहित हुए जीव भी इसी तरह से हैं, सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और मिश्र दृष्टिवाले जीव भी इसी तरह से हैं, संयत जीव, असंयत जीव, संयतासंयत जीव छ-(सपएसा) मा ४२मा जनी अपेक्षा ७१ सप्रश ५ छ भने અપ્રદેશ પણ છે એ વાતનું એકત્ર અને બહત્વ દંડક દ્વારા પ્રતિપાદન કરવામાં मा०यु छे. (आहारग) मा ५४२शुभ २४ ७३ मन मनाडा२४ ०१ સપ્રદેશ પણ છે અને અપ્રદેશ પણ છે એ વાતનું એકત્વ અને બહુ દંડક द्वारा प्रतिपान ४२पामा माव्यु छ. (भविय) मा ४२मा सय ७३' અભવ્ય જીવ, ને ભગ્ય જીવ અને તે અભવ્ય છે પણ એવા જ છે એવું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે. (सन्नि) मा २९भा सशी, मसी, न सही भनेनी असशी જીવે પણ એવા જ છે, એ વાતનું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે (लेसा) gogle ७ वेश्यावा । गने वेश्यामाथी २डित । પણું એવાં જ છે, એવું આ પ્રકરણમાં પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે. - (विटी) मा ४२शुमा सभ्यष्टि, मिथ्याट भने भित्र टिवाणा છે પણ એવાં જ છે, એ વાતનું પ્રતિપાદન કરાયું છે. (संजय) मा ४२मा सयत, मसयत, संयतासयत, नौ सयत,
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
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