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________________ ७४ स्थानासमो "चत्तारि पुरिसनाया" इत्यादि-पुनः पुरुषजातानि चत्वारि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-एको गणशोमाकरः-गणस्य साधुममुदायस्य-अनवद्यसाधुसामाचारीप्रवर्तन या वादित्व-धोपदेशित्व-नैमित्तिकव-विवामिद्वत्वादिना वा शोभा फरो. तीत्येवंशीलतया भवति, किन्नु नो मानक -तदभिमान कारी न भवति विनवाभ्यर्थन या गणशोमाकरणपराय गत्वाद् निरहङ्कारत्वाद्वा १, तथा-मानकरो नामैको नो गगशोभाकरः २, एको गगशोभाकरोऽपि मानकरोऽपि ३, एको नो गणशोभाकरो नो मानकरः ४। इति । ___“ चत्तारि पुरिसजाया" इत्यादि-पुनः पुरुष नातानि चत्वारि प्राप्तानि, तघया-एको गगशोधिकरः-गणस्य शोधि-समुचितमायश्चित्तदानादिना शोधनं पुनश्च - " चत्तारि पुरिसजाया " - इत्यादि, पुरुष जात चार कहे गये हैं, जैसे - कोई एक पुरुष गण माधुसमुदाय की अनवद्य - निर्दोष साधु समाचारी की प्रवर्तना से, धादित्व शुग से, धोपदेश करने से, नैमित्तिकस्य से, या-विद्यासिद्धित्व आदि ले शोभा करने का स्वभाव वाला होता है, फिन्तु-"नो मानकर" मानकर नहीं होता है इस बात का अभिमान करने का स्वभाव वाला नहीं होता है, क्योंकि वह बिना कहे सुने ही गण की शोभा करने में तल्लीन रहता है, अथवा अहङ्कार विना का होता है ऐसा यह प्रथम भंग है, १ कोई पुरुष मानकर होता है गण शोभाकर नहीं, २ कोई एक गण की शोभाकर भी होता है और-मानकर भी, ३ कोई एक नगणकी शोभाकर होता है और न मान कर ही होता है, "चत्तारि पुरिसजाया"-पुनश्च-पुरुष जान चार कहे गये हैं, जैसे-कोई एक गण " चत्तारि पुरिसजाया” मा प्रकारे पुरुषान। या२ २ ३ छ(૧) કોઈ એક પુરુષ અનવદ્ય (નિર્દોપ) સાધુ સમાચારીની પ્રવર્તન દ્વારા, વાદિત્વ ગુણ દ્વારા, ધર્મોપદેશ દ્વારા, નિમિકત્વ વડે, અથવા વિદ્યાસિદ્ધિવ આદિ ५४ सनी (साधुसमुदायनी) मा वधारनार हाय छ ५२-1 " नो मानकरः" (એ વાતનું અભિમાન કરનાર) હોતે નથી કારણ કે તે કોઈની વિનંતિની અપેક્ષા રાખ્યા વિના ગણની શોભા વધારવાને તત્પર રહે છે અને તેનામાં અહંકાર હોતે નથી. (૨) કેઈ પુરુષ માનકર હોય છે. પણ ગણેશભાકર હિતે નથી. (૩) કે પુરુષ ગણશોભાકર પણ હોય છે અને માનકર પણ હોય છે. (૪) કોઈ પુરુષ ગણાભાકર પણ હોતો નથી અને માનકર પણ છે તે નથી. "चत्तारि पुरिसजाया " पुरुषना नीचे प्रमाणे या२ २ र ५ છે—કેઈ એક પુરુષ ગણશેધિકાર હોય છે એટલે કે સમુચિત ગાયશ્ચિત્ત
SR No.009309
Book TitleSthanang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size36 MB
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