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________________ ३०४ स्थानाशस्त्रे चत्तारि मेहा पण्णत्ता तं जहा-गज्जित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता १, विज्जुयाइता णाममेगे णो गाज्जित्ता ४। (३) एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-गज्जित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता ४, (४)। चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा--बासित्ता णाममेगे नो विज्जुयाइत्ता ४। (५) एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--वासित्ता णामलेगे णो विज्जुयाइत्ता ४, (६) चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा-कालवासी णाममेगे णो अकालवासी ४, (७) एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-कालवाली णाममेगे णों अकालवासी ४, (८)। - चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा--खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी ४, (९)। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तं जहा- खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी ४ (१०) . चत्तारि सेहा पण्णत्ता, तं जहा-जणइत्ता गाममेगे णो जिम्मवइत्ता, जिम्मवइत्ता णाममेगे णो जणइत्ता ४, (११) एवामेव चत्तारि अम्मापियरो पण्णत्तो, तं जहा--जणइत्ता णाममेगे णो णिस्मवइत्ता ४ (१२) । चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा-देसवासी णाममेगे णो सव्ववासी ४, (१३) एवामेव चत्तारि रायाणो पण्णत्ता, तं . जहा--देसाहिबई णाममेगे णो सव्वाहिवई ४ (१४)॥सू०९ ॥
SR No.009309
Book TitleSthanang Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages636
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size36 MB
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