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· ... सूत्रकृताङ्गसूत्र अण्णयराओ दुक्खाओ रोगातंकाओ पडिमोयह अणिट्राओ अकंताओ अप्पियाओ असुभाओ अमणुन्नाओ अमणामाओ दुक्खाओ णो सुहाओ, एवामेव णो लद्धपुत्वं भवा, इह खलु कामभोगा णो ताणाए वा णो सरणाए वा, पुरिसे वा एगया पुचि कामभोगे विप्पजहइ, कामभोगा वा एगया पुर्दिब पुरिसं विप्पजहंति, अन्ने खल्लु कामलोषा अन्लो अहमंसि, से किमंग पुण वयं अन्नान्नेहिं कासमोगेहिं मुच्छामो ? इह संखाए णं वयं च कालभोगेहि विप्पजहिस्सामो, से मेहावी जाणेजा बहिरंगमेयं, इणमेव उवणीयतरागं, तं जहा--साथा मे पिया मे भाया मे भगिणी से भज्जा मे पुत्ता से धूया मे पेसा मे नत्ता मे सुण्हा से सुहा से पिया से सहा मे सयणसंगंथसंथुया मे, एए खल्लु मम णायओ अहम वि एएसि, एवं से मेहावी पुवामेव अप्पणा एवं समभिजाणेज्जा, इह खल्लु मम अन्नयरे दुक्खे रोयातंके लसुप्पज्जेज्जा अणिढे जाव दुक्खे णो सुहे, से हंता अयतारो! णायओ इमं सम अन्नयरं दुक्खं रोयातक परियाइ यह अणिटुं जाव णो सुहं, ताऽहं दुक्खामि वा सोयामि वा जाव परितप्पामि वा, इलाओ मे अन्नयराओ दुक्खाओ रोगातकाओ परिमोएह अणिहाओ जाव णो सुहाओ, एवमेव णो लद्धपुव्वं भवइ, तेलिं वावि भयंताराणं मम णाययाणं अन्नयरे दुक्खे रोगातके समुप्पज्जेज्जा आणिढे जाव णो सुहे, से हंता अहमेतेसिं भयंताराणं णाययाणं इमं अन्न