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________________ ४६८ सूत्रकृतामसूत्र अन्वयार्थ:" (डहरा) 'डहराः-बालकाः (य) च--तथा (बुढा) वृद्धाः (गम्भावि) गर्भस्था अपि (माणवा) मानवाः- मनुष्याः (चयंति) च्यवन्ति- 'नियन्ते । इति (पासह) पश्यत (जह) यथा (सेणे) श्येनः 'वाज' इति प्रसिद्धः पक्षिविशेषः (वयं) वर्तकं-'बटेर' इति भापाप्रसिद्धं पक्षिविशेषम् (हरे) हरेत्-- मारयेत् एवं मृत्युः प्राणिनं हरतीति भावः। (एवं) एवम्-अनेन प्रकारेण (आउक्खयंमि) आयुःक्षये प्राणी (तुट्टई) त्रुटयति म्रियते जीवन व्यपगतं भवति ॥२॥ टीका_ 'डहरा डहरा:-बालकाः 'डहर' इति वालकवाचकोऽयं देशीयशब्दः, 'य' च तथा 'बुड्ढा वृद्धाः वयोवृद्धा रोगवृद्धा वा तथा 'गभत्थावि' गर्भस्था वर्तक पक्षीको 'हरे-हरेत् । मारताहै ‘एवं-एवम् ' इसी प्रकार ‘आउक्खयंमि आयुःक्षये ' आयुके क्षय होनेपर 'तुट्टई-त्रुटयति' जीवन नष्ट हो जाता है ॥२॥ अन्वयार्थ ।. देखो बालक और वृद्ध सभी यहां तक कि गर्भ में स्थित मनुष्य भी जीवनका परित्याग कर देते हैं। जैसे वाज, बटेर पक्षीको मार डालता है उसी प्रकार आयुष्यका क्षय होने पर जीवन नष्ट हो जाता है। तात्पर्य यह है कि इस जीवनकी कोई अवधि निश्चित नहीं है यह किसी भी समय समाप्त हो जाता है ॥२॥ टीकार्थ .'डहर' यह देशी शब्द 'बालक' अर्थका वाचक है । वृद्धका अर्थ वयोवृद्ध- या रोगवृद्ध है। अभिप्राय यह है कि बालक हो चाहे वृद्ध, या गर्भ में श्येनपक्षी (मा०८ पक्षी) "चट्टय-वर्तक' वर्तपक्षीने हरे-हरेत् ' भारे छ. 'एव एवम् ॥ प्रारं 'आउखय मि-आयु क्षये' मायुप्यना क्षय थया ५छी 'तुट्टई-त्रुटयति' જીવન નષ્ટ થઈ જાય છે ૨ સૂત્રાર્થ मी, पास युवान, वृद्ध, ये सौ वन परित्याग ४२ छे. मरे? गाभा રહેલા જીવના પ્રાણ પણ વિનષ્ટ થઈ જાય છે '' '' જેવી રીતે બાજપક્ષી બતકને મારી નાખે છે એજ પ્રમાણે આયુષ્યનો ક્ષય થાય ત્યારે જીવન નષ્ટ થઈ જાય છે તાત્પર્ય એ છે કે આ જીવનની કઈ અવધિ નિશ્ચિત नथी, ते गमे ते समये सभास थ नय छे... -टा"डहर" २ मही प६ मासना' अथ नु वाय, वृद्ध' मा ५६ वयोवृद्ध અને રેગવૃદ્ધનુ વાચક છે ચાહે બાલક હોય, ચાહે વૃદ્ધ હોય, ચાહે ગર્ભમાં રહેલી
SR No.009303
Book TitleSutrakrutanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages701
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size38 MB
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