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________________ मृत्रतास्त्रे 11. मध्येच-भू१ र्भुवः२, स्वः३, महः४, जनः५, तपः६, सत्यः७, इत्येवं रूपाणां सप्तानामूर्ध्वलोकानाम् । एवम्-अतल १ वितल२ मुतल३ तलातल४ पाताल५ महापाताल६ रसातल७ रूपाणां च सप्तानामघालोकानां चेति चतुर्दशभुवनानामुत्पत्तिरभूत् । एवं पृथिवीजलतेजोवायुगगनमरित् समुद्रपर्वतादीनां सर्वेपामुत्पत्तिरभूत् । तदुक्तम्-"आसीदिदं तमोभूतमप्रज्ञातमलक्षणम् । अप्रतक्यमविज्ञेयं, प्रसप्तमिव स तः" ॥१॥ इति ।। एवं क्रमेण 'असो' असौ ब्रह्मा 'तत्तं' तत्त्वं सर्वपदार्थजातं तदण्डक्रमपरम्परया 'अकासी' अकापीत् कृतवान् । ते च ब्राह्मणश्रमणपोगणिकस्मृदो विभाग हो गए उर्ध्व भाग और अधोभाग । मध्य में (१) भू (२) भुवः, (६) स्वः (४) मह (५) जन (६) तप और (७ ) सत्य, इन सात लोकों की तथा (१) अतल (२) वितल (३) सुतल ( ४ ) तलातल (५) पाताल (६) महापाताल और (७) रसातल नामक सात अधो लोकों की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार चौदह लोक बन गए । इसी प्रकार पृथिवी, जल, तेज, वायु, गगन, नदी, समुद्र और पर्वत आदि सभी की उत्पत्ति हुई । कहा भी हैं- यह सब अन्धकार जैसा था, सर्वथा अज्ञात था, इसका कोई लक्षण नहीं था, इसके विषय में तर्क से भी कुछ नहीं जाना जा सकता था, अज्ञेय था, सभी और सर्वथा मुप्त शून्य जैसा था । " ब्रह्मा ने इस प्रकार अंडे से आरंभ करके अनुक्रम से सब पदार्थों की रचना की । परन्तु वे ब्राह्मण, श्रमण, पौगणिक एवं स्मृति अनुयायी गया. (१), SHI, (२) २५ोमा मध्यमा (१) (भू , (२) भुक (3) २१, (४) भ3; (५). ५, (६) त५ मने (७) सत्य, मा सात सोनी तथा (१) मतस, (२) वितस (3) सुतस, (४) तातa, (५) पातास, (६) मापातार अने (७) २सात नामना સાંતાએ લોકની ઉત્પત્તિ થઈ * આ પ્રકારે ૧૪ લેકની ઉત્પત્તિ થઈ ગઈ એજ પ્રમાણે પૃથ્વી, જળ, તેજ વાયુ, આકાશ, સમુદ્ર અને પર્વત આદિ બધા પદાર્થોની ઉત્પત્તિ થઈ ગઈ કહ્યું પણ છે કે – “સકળ વિશ્વ પહેલાં અ ધકારમય હતુ, સર્વથા અજ્ઞાન હતુ, તેનું કેઈ લક્ષણ ન હતુ તર્ક દ્વારા પણ તેને વિષે કઈ જાણી શકાતુ નહીં, અરેય હતુ અને ચારે તરફ સર્વથા ડ सूस शुन्य यु तु । " બ્રહ્માએ આ પ્રકારે ઈ ડાથી શરૂઆત કરીને ક્રમ ક્રમે સઘળા પદાર્થોની રચના , કરી પરંતુ તે બ્રાહ્મણ, શ્રમણો, પૌરાણિક અને સ્મૃત્તિના અનુયાયીઓ વાસ્તવિક,
SR No.009303
Book TitleSutrakrutanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages701
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size38 MB
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