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जानकर गुरू ने बताया
न ही मुझे कोई गम है और न ही कोई खुशी भी शांत स्वरूप मेरा आनंद और वीरता से भरपूर है न मैं किसी का दास हूँ और न ही कोई मेरा गुलाम स्वतंत्र स्वरूप मेरा, यही मुझे गुरू ने जानकर ही बताया.
ज्ञान मेरा स्वतंत्र और मैं ही जानता सभी ज्ञेयों को मैं हूं स्वतंत्र और किसे, कब, क्यों, कैसे जानता हूं यह मेरी ही योग्यता है और ज्ञेयों में ज्ञात होने की शक्ति भी है, यही मुझ गुरू ने जानकर ही बताया है.
विश्व में छह द्रव्य हैं और सभी पूरी तरह से स्वतंत्र हैं स्वयं में, स्वयं से, स्वयं ही बदलते भी हैं, मैं अकेला ज्ञानवान यह सब कुछ जानने वाला सर्वोत्कृष्ट जीव तत्व हूं मैं, यही मुझे गुरु ने जानकर ही बताया है.
मैं इस विश्व को बनाता, संवारता, और नष्ट करने वाला नहीं और यह विश्व भी मुझे बनाता, संवारता,
और नष्ट कर नहीं सकता इसे मैं प्रत्यक्ष अनुभव से जानता हूं, यही मुझे गुरू ने जानकर ही बताया है.