________________
मैंने है खाया विलाया जी भर के
मैंने है खाया खिलाया जी भर के, है पिया और पिलाया भी खूब सब कुछ करते, खुश होते लोभ, मोह, माया, क्रोध भी कर ही लिया अब तो जान लिया दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम
मैंने कई काम किये और कराये, अच्छे अच्छे काम करने कराने में ऐसे तो हुए व्यस्त कि कब हुए जवान से बूढ़े खबर ही न पड़ी अब तो जान लिया होनहार तो जैसा होना अवश्य ही होता है
जिओ और जीने दो का पालन कर हमने कितनों को है बचाया कितने रोते हुओं को हंसाया. ऐसा करना महान कार्य भी माना अब तो जान लिया जन्म मरण की एक पल भी बदली न जाय
अब ख्याल आया मैं इस संसार में पूर्ण अकर्ता ही हूं. मैं तो मुझ में और सब भी खुद खुद में सम्पूर्ण हैं. फिर कैसे करूं? क्या करूं? अब तो जान लिया "मैं " जाननहार, सुख-शांति का अक्षय भंडार हूं
*
**
204