________________
परिशिष्ट १
रयणप्पभाइयाओ, एयाओ तीइ सत्त पुढवीओ। सव्वाओ समंतेण, अहो अहो वित्थरंतीओ ॥८३॥ तीसपणवीसपनरसदसलक्खा तिन्नि एग पंचूणं। पंच य नरगावासा, चुलसीइलक्खाइं सव्वासु॥८४॥ ते णं नरयावासा, अंतो वट्टा बहिं तु चउरंसा। ट्ठा खुरुप्प ठाणसंठिया परमदुग्गंधा ॥ ८५ ॥ असुई निच्चपइट्ठियपूयवसामंसरुहिरचिक्खिल्ला। धूमप्पभाइ किंचि वि, जाव निसग्गेण अइ उसिणा ॥८६॥ परओ निसग्गओ च्चिय, दुसहमहासीयवेयणाकलिया। निच्चंधयारतमसा, नीसेसदुहायरा सव्वे॥८७॥ जइ अमरगिरिसमाणं, हिमपिंडं को वि उसिणनरएसु । खिवइ सुरो तो खिप्पं, वच्चइ विलयं अपत्तो वि ॥८८॥ धमियकयअग्गिवन्नो, मेरुसमो जइ पडेज्ज अयगोलो। परिणामिज्जइ सीएसु सो वि हिमपिंडरूवेण॥८९॥ अइकढिणवज्जकुड्डा, होंति समंतेण तेसु नरएसु। संकडमुहाई घडियालयाइं किर तेसु भणियाइं॥९०॥ मूढा य महारंभं, अइघोरपरिग्गहं पणिंदिवहं। काऊण इहऽन्नाणि वि, कुणिमाहाराइ पावाइं॥९१॥ पावभरेणक्कंता, नीरे अयगोलउ व्व गयसरणा। वच्चंति अहो जीवा, निरए घडियालयाणंतो ॥९२॥ अंगुलअसंखभागो, तेसि सरीरं तहिं हवइ पढमं। अंतोमुहुत्तमेत्तेण जायए तं पि हु महल्लं॥९३॥ पीडिज्जइ सो तत्तो, घडियालयसंकडे अमायंतो । पीलिज्जंतो हत्थि, व्व घाणए विरसमारसइ ॥ ९४॥ तं तह उप्पण्णं पासिऊण धावंति हट्ठतुट्ठमणा। रे रे गिण्हह गिण्हह, एयं दुट्टं ति जंपंता॥९५॥ छोल्लिज्जंतं तह संकडाउ जंताओ वंससलियं व। धरिऊण खुरे कड्ढंति पलवमाणं इमे देवा॥९६॥
१५९