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(दोहा) पूर्ण करे नववर्ष तक, यह व्रत चित्त हर्षाय। रविव्रत सुखसिंचित करे, मनवांछित फलदाय।। आज हुआ सम्पूर्ण यह, रविव्रत पाठ विधान। 'शशि' को आत्मप्रकाश दो, पाश्वनाथ
भगवान।
॥ इत्याशीर्वादः॥
ऊँ ह्रीं नव क्षायिकलब्धि विभूषिताय श्रीपाश्वनाथाय जिनेन्द्राय नमः।
(इस मंत्र की 108 जाप करें।)
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