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तुरियावर्षी रविव्रतों में पार्श्व की आराधना। मुक्तिदा आनन्द दाता, रविव्रतों की साधना।। एक चाटुक भोज का, इसमें विशेष विधान है।
पुण्यपुष्पों से भरा रविवार व्रत उद्यान है।। ऊँ ह्रीं श्री रविवार व्रतस्य चतुर्थवर्षे नवसु आदित्यवारेषु नवक्षायिकलब्धि विभूषिताय श्री
पार्शवनाथ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
पंचम पूजा
सित अषाढ़ पंचम अभिराम, पहिला रविव्रत मंगलधाम।
भवदधितारक व्रतरविवार, तक्र (छांछ) सहित ओदन आहार।। ऊँ ह्रीं श्री रविवारव्रतस्य पंचमवर्षे प्रथमरविवासरे क्षायिकज्ञानलब्धिविभूषिताय श्री पाश्वनाथ
जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
दूजो रविव्रत पंचम वर्ष, नासा इन्द्रिय का संघर्ष।
कर्मविदारक व्रत रविवार, तक्रसहित ओदन आहार।। ऊँ ह्रीं श्री रविवार व्रतस्य पंचमवर्षे द्वितीयरविवासरे क्षायिकदर्शन लब्धिविभूषिताय श्री
पाश्वनाथ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
पंचम वर्ष तृतिय रविवार, सुखसम्पति दातार अपार।
जन्मसुधारक व्रत रविवार, तक्रसहित ओदन आहार।। ऊँ ह्रीं श्री रविवार व्रतस्य पंचमवर्षे तृतीयरविवासरे क्षायिकसम्यक्त्व लब्धिविभूषिताय श्री
पाश्वनाथ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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