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नवमा रविवव्रत भानुसमान उत्तम सुखदाता वरदान।
मंगलमयी दिवस रविवार, रविव्रत पूजन सुखदाता।। ॐ ह्रीं श्री रविवार व्रतस्य प्रथमवर्षे नवमरविवासरे क्षायिकवीर्यलब्धि विभूषिताय श्री
पार्शवनाथ जिनेन्द्राय अध्यम निर्वपामीति स्वाहा।
मनवचकाय त्रियोग संभार, यह उपवास करे नव वार।
मंगलमयी दिवस रविवार, रविव्रत पूजन सुखदातार।। ऊँ ह्रीं श्री रविवार व्रतस्य प्रथमवर्षे नवसु आदित्यवारेषु क्षायिकलब्धि विभूषिताय श्री
पार्शवनाथ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
द्वितीय पूजा
दूजे वर्ष अषाढ़ शुक्ल में इस प्रकार करिये रविवार। मांड समेत प्रथम रविवव्रत में, चावलका लें कांजी आहार।। इस प्रकार रविव्रत महान यह भक्तिभाव से करे विशाल।
परी मनोकामनाएँ हों, यश वैभव से रहे निहाल।। ॐ ह्रीं श्री रविवारव्रतस्य द्वितीयवर्षे प्रथमरविवासरे क्षायिकज्ञान लब्धिविभूषिताय श्री
पाश्वनाथ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
दूजा वर्ष दूसरा रविव्रत, मनवांछित फल का दातार। इसमें सुखदायक फलदायक नियमसहित कांजी आहार।। इस प्रकार रविव्रत महान यह भक्तिभाव से करे विशाल।
पूरी मनोकामनाएँ हों, यश वैभव से रहे निहाल।। ऊँ ह्रीं श्री रविवार व्रतस्य द्वितीयवर्षे द्वितीयरविवासरे क्षायिकदर्शन लब्धिविभूषिताय श्री
पार्शवनाथ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
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