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ऊँ ह्रीं भूत भविष्यत् वर्तमान काल सम्बन्धि पंच प्रकार सर्व ऋषीश्वरा
अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्। ऊँ ह्रीं भूत भविष्यत् वर्तमान काल सम्बन्धि पंच प्रकार सर्व ऋषीश्वराः
अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्। ॐ ह्रीं भूत भविष्यत् वर्तमान काल सम्बन्धि पंच प्रकार सर्व ऋषीश्वराः
अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
अथाष्टक (चाल रेखता में) ल्यायो शुभ गंगजल भरिकै, कनक श्रृंगार कर करि कै।
जन्म जरा-मृत्यु के हरनन् यजूं मुनिराज के चरनन्।।1।। ॐ ह्रीं भूत भविष्यत् वर्तमानकाल सम्बन्धि पुलाक वकुश कुशील निग्रंथ स्नातक पंच प्रकार
सर्वमुनीश्वरेभ्यो जन्म-जरा-मृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
घसों काश्मीर संग चंदन, मिलावो केलि को नंदन।
करत भवताप को हरनन्, यजू मुनिराज के चरनन्।।2।। ऊँ ह्रीं भूत भविष्यत् वर्तमानकाल सम्बन्धि पंच प्रकार सर्वमुनीश्वरेभ्यः
संसारताप विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
अखिल शुभचंद्र के कर से, भरो कण यथाल में सरसे।
अखय पद प्राप्ति के करनन्, यजूं मुनिराज के चरनन्।।3।। ऊँ ह्रीं भूत भविष्यत् वर्तमानकाल सम्बन्धि पंच प्रकार सर्वमुनीश्वरेभ्यः
अक्षय पद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।
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