________________
75. ॐ ह्रीं अहँ क्षमाय नमः 76. ऊँ ह्रीं अहँ शत्रुघ्नाय नमः 77. ऊँ ह्रीं अहँ अप्रतिघाय नमः 78. ऊँ ह्रीं अर्ह अमोघाय नमः 79. ॐ ह्रीं अर्ह प्रशास्ते नमः 80. ऊँ ह्रीं अहँ शासित्रे नमः 81. ऊँ ह्रीं अहँ स्वयंभुवे नमः 82. ऊँ ह्रीं अहँ शांतिनिष्ठाय नमः 83. ऊँ ह्रीं अहँ मुनिज्येष्ठाय नमः 84. ऊँ ह्रीं अहँ शिवतातये नमः 85. ऊँ ह्रीं अहँ शिवप्रदाय नमः 86. ऊँ ह्रीं अर्ह शांतिदाय नमः
87. ऊँ ह्रीं अर्ह शांतिकृते नमः 88. ऊँ ह्रीं अहँ शान्तये नमः 89. ऊँ ह्रीं अहँ कांतिमते नमः 90. ऊँ ह्रीं अहँ कामितप्रदाय नमः 91. ऊँ ह्रीं अहँ श्रेयोनिधये नमः 92. ऊँ ह्रीं अहँ अधिष्ठानाय नमः 93. ऊँ ह्रीं अहँ अप्रतिष्ठाय नमः 94. ऊँ ह्रीं अहँ प्रतिष्ठिताय नमः 95. ॐ ह्रीं अर्ह सुस्थिराय नमः 96. ऊँ ह्रीं अहँ स्थविराय नमः
97. ऊँ ह्रीं अहँ स्थाणवे नमः 98. ॐ ह्रीं अहँ प्रथीयसे नमः 99. ऊँ ह्रीं अहँ प्रथिताय नमः 100. ऊँ ह्रीं अहँ पृथवे नमः नमः त्रिकालदर्शि प्रमुखै- मभिः शतकप्रभैः। शोभमानं जिनं ह्याद्य-मर्चयामि जलादिभिः।।9।।
ऊँ ह्रीं त्रिकालदर्शितादि शातनामधारक वृषभाय पूर्णाध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
अथ प्रथमवलये दशमकोष्ठे दिग्वासादि अष्टोत्तर शतनाम प्रत्येकाध्यं 1. ॐ ह्रीं अहँ दिग्वाससे नमः । 2. ऊँ ह्रीं अर्ह वातरशनाय नमः 3. ऊँ ह्रीं अहँ निग्रन्थेशाय नमः 4. ऊँ ह्रीं अहँ निरंबराय नमः 5. ऊँ ह्रीं अहँ निःकिंचनाय नमः 6. ऊँ ह्रीं अर्हं निराशंसाय नमः 7. ॐ ह्रीं अहँ ज्ञानचक्षुषे नमः 8. ऊँ ह्रीं अहँ अमोमुहाय नमः 9. ॐ ह्रीं अहँ तेजोराशये नमः 10. ऊँ ह्रीं अहँ अनन्तौजसे नमः 11. ऊँ ह्रीं अहँ ज्ञानाब्धये नमः 12. ऊँ ह्रीं अहँ शीलसागराय नमः 13. ऊँ ह्रीं अहँ तेजोमयाय नमः 14. ऊँ ह्रीं अहँ अमितज्योतिषे नमः
370