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93. ऊँ ह्रीं अहँ परमानंदाय नमः 94. ऊँ ह्रीं अहँ परमात्मज्ञाय नमः 95. ऊँ ह्रीं अहँ परात्पराय नमः 96. ऊँ ह्रीं अहँ त्रिजगद्वल्लभाय नमः 97. ऊँ ह्रीं अहँ अभ्यर्चाय नमः 98. ऊँ ह्रीं अहँ त्रिजन्मंगलोदयाय नमः 99. ऊँ ह्रीं अहँ त्रिजगत्पतिपूजांघ्रये नमः 100. ऊँ ह्रीं अहँ त्रिलोकाग्रशिक्षामणये
नमः बृहद वृहस्पतिमुख्यै- मभिः शतप्रभैः। शोभमानं जिनं वन्दे राजमानं जलादिभिः।।8।। ऊँ ह्रीं बृहद् बृहस्यपत्यादि शातनामधारक वृषभयाय पूर्णाध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
अथ प्रथमवलये नवमकोष्ठे त्रिकालदर्शितादि शतनाम प्रत्येकायं 1. ऊँ ह्रीं अहँ त्रिकालदर्शिने नमः 2. ऊँ ह्रीं अहँ लोकेशाय नमः 3. ऊँ ह्रीं अहँ लोकधात्रे नमः 4. ऊँ ह्रीं अहँ दृढव्रताय नमः 5. ऊँ ह्रीं अहँ सर्वलोकातिगाय नमः 6. ऊँ ह्रीं अर्ह पूज्याय नमः 7. ऊँ ह्रीं अहँ सर्वलोकैकसारथये नमः 8. ऊँ ह्रीं अहँ पुराणाय नमः
9. ऊँ ह्रीं अर्ह पुरुषाय नमः 10. ऊँ ह्रीं अहँ पूर्वाय नमः 11. ऊँ ह्रीं अहँ कृतपूर्वांगविस्तराय नमः 12. ऊँ ह्रीं अहँ आदिदेवाय नमः 13. ऊँ ह्रीं अहँ पुराणाद्याय नमः 14. ॐ ह्रीं अहँ पुरुदेवाय नमः 15. ऊँ ह्रीं अहँ आधिदेवतायै नमः 16. ऊँ ह्रीं अहँ युगमुख्याय नमः 17. ऊँ ह्रीं अहँ युगज्येष्ठाय नमः 18. ऊँ ह्रीं अहँ युगादिस्थि ति देशकाय
नमः 19. ऊँ ह्रीं अहँ कल्याणवर्णाय नमः 20. ऊँ ह्रीं अहँ कल्याणाय नमः 21. ऊँ ह्रीं अहँ कल्याण नमः 22. ॐ ह्रीं अहँ कल्याणलक्षणाय नमः 23. ऊँ ह्रीं अहँ कल्याण प्रकृतये नमः 24. ऊँ ह्रीं अहँ दीप्तकल्याणात्मने नमः
25. ऊँ ह्रीं अहँ विकल्मषाय नमः 26. ऊँ ह्रीं अहँ विकलंकाय नमः 27. ऊँ ह्रीं अहँ कलातीताय नमः 28. ऊँ ह्रीं अहँ कलिलघ्नाय नमः
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