________________
श्रीमत्प्रभति सन्नाम-शकतेन विशोभितम्। धर्मतीर्थस्यकर्तार-माद्यमर्चाभि चाष्टधा।।1।
ऊँ ह्रीं श्रीमदादिशतनामसंहिता वृषभजिनेन्द्राय पूर्णाध्य निर्वपामीति स्वाहा।
अथ प्रथम वलये द्वितीय कोष्ठे दिव्यभाषापति शतनाम प्रत्येकाध्यं 1. ऊँ ह्रीं अहँ दिव्यभाषापतये नमः 2. ऊँ ह्रीं अर्हं दिव्याय नमः 3. ऊँ ह्रीं अहँ पूतवाचे नमः
4. ऊँ ह्रीं अहँ पूतशासनाय नमः 5. ऊँ ह्रीं अहँ पूतात्मने नमः 6. ऊँ ह्रीं अहँ परज्योतिषे नमः 7. ऊँ ह्रीं अहँ धर्माध्यक्षाय नमः 8. ऊँ ह्रीं अहँ दमेश्वराय नमः 9. ॐ ह्रीं अर्ह श्रीपतये नमः 10. ॐ ह्रीं अहँ भगवते नमः 11. ऊँ ह्रीं अहँ अर्हते नमः
12. ऊँ ह्रीं अहँ अरजसे नमः 13. ऊँ ह्रीं अहँ विरजसे नमः 14. ऊँ ह्रीं अहँ शुचये नमः 15. ऊँ ह्रीं अहँ तीर्थकृते नमः 16. ऊँ ह्रीं अहँ केवलिने नमः 17. ऊँ ह्रीं अहँ ईशानाय नमः 18. ऊँ ह्रीं अर्ह पूजार्हाय नमः 19. ऊँ ह्रीं अहँ स्नातकाय नमः 20. ऊँ ह्रीं अहँ अमलाय नमः 21. ऊँ ह्रीं अहँ अनंतदीप्तये नमः 22. ऊँ ह्रीं अहँ ज्ञानात्मने नमः 23. ऊँ ह्रीं अहँ स्वयंबुद्धाय नमः 24. ऊँ ह्रीं अहँ प्रजापतये नमः
25. ऊँ ह्रीं अहँ मुक्ताय नमः 26. ऊँ ह्रीं अर्ह शक्ताय नमः 27. ऊँ ह्रीं अहँ निराबाधाय नमः 28. ऊँ ह्रीं अहँ निष्कलाय नमः 29. ऊँ ह्रीं अहँ भुवनेश्वराय नमः 30. ऊँ ह्रीं अर्हं निरंजनाय नमः 31. ऊँ ह्रीं अहँ जगत्ज्योतिषे नमः 32. ऊँ ह्रीं अहँ निरुक्तोक्ये नमः 33. ऊँ ह्रीं अहँ निरामयाय नमः 34. ॐ ह्रीं अहँ अचलस्थितये नमः 35. ऊँ ह्रीं अहँ अक्षोभ्याय नमः 36. ऊँ ह्रीं अहँ कूटस्थाय नमः 37. ऊँ ह्रीं अर्ह स्थाणवे नमः 38. ऊँ ह्रीं अहँ अक्षयाय नमः 39. ऊँ ह्रीं अहँ अग्रण्यै नमः 40. ऊँ ह्रीं अहँ ग्रामण्यै नमः
352