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________________ कर्माष्टक विनिर्मुक्तं मोक्षलक्ष्मी निकेतनम्। सम्यक्त्वादिगुणोपेतं सिद्धचक्र नमाम्यहम्।। विध्नौघाः प्रलयं यान्ति शाकिनी-भूत-पन्नगाः। विषं निर्विषतां याति स्तूयमाने जिनेश्वरे।। (पुष्पांजलि क्षिपेत्) उदकचन्दनतन्दुलपुष्पकैश्चरुसुदीपसुधूपफलार्घकैः। धवलमंगलगानरवाकुले जिनगृहे कल्याणमहं यजे।। ऊँ ह्रीं भगवज्जिन गर्भ-जन्म-तप-ज्ञान-निर्वाण कल्याणकेभ्यः अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। उदकचन्दनतन्दुलपुष्पकैश्चरुसुदीपसुधूपफलार्घकैः। धवलमंगलगानरवाकुले जिनगृहे जिनइष्टमहं यजे।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। अथ प्रथमवलय पूजा (जहां प्रथम वलय में 10 कोष्ठ बनाये गये हैं, वहीं एक-एक कोष्ठ में शतनाम मन्त्रों से अध्य समर्पित करते हुए क्रमशः भगवज्जिन अष्टोत्तर सहस्रनाम के मन्त्रों से अध्य चढ़ावें) एवं स्तुत्वा जिनं देवं भक्त्या परमया सुधीः। पठेदष्टोत्तरं नाम्नां सहस्रं पापशान्तये।। इति प्रथमवलये मण्डलोपरि पुष्पाक्षतान् क्षिपेत्। अथ प्रथम वलये प्रथमकोष्ठे श्रीमदादि शतनाम प्रत्येकाघ 1. ऊँ ह्रीं अहँ श्रीमते नमः 2. ऊँ ह्रीं अहँ स्वयंभुवे नमः 3. ऊँ ह्रीं अर्ह वृषभाय नमः 4. ऊँ ह्रीं अहँ शंभवाय नमः 5. ऊँ ह्रीं अहँ शंभवे नमः 6. ऊँ ह्रीं अहँ आत्मभुवे नमः 7. ऊँ ह्रीं अर्ह स्वयंप्रभाय नमः 8. ऊँ ह्रीं अहँ प्रभवे नमः 9. ऊँ ह्रीं अहँ भोक्त्रे नमः ___ 10. ऊँ ह्रीं अहँ विश्वभुवे नमः 349
SR No.009254
Book TitleVidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1409
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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