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अर्घहे नाग इदमध्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ
भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा।401
बलिं- शकर, दूधभात।
यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः।। (शान्तिधारा)
आराधना श्लोकमुख्यं यजे व्यंतर देव मुख्यं यक्षेण सत्रा कृतचारु मुख्यम्। विख्यात् कांतार बिहारसंक्त संतु प्रवेकैर्वर वस्तु युक्तैः।।41।।
आह्वानऊँ आं क्रौं ह्रीं मौक्तिक वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे मुख्य
आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
बलि विधानॐ मुख्याय स्वाहा। मुख्य परिजनाय स्वाहा। मुख्या अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भू (व स्वाहा।
स्वः स्वाहा स्वधा।
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