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आराधना श्लोकसत्यामरं नित्यम सत्य दूरं गोत्र द्विषं द्वामपदे वसंतम्। सद्धर्भ निध्यानकृत प्रमोदं संपूजये पूर्व सपर्य यैव।।25।।
आह्वानॐ आं क्रौं ह्रीं श्याम वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे सत्यक
आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
बलि विधानऊँ सत्यकाय स्वाहा। सत्यक परिजनाय स्वाहा। सत्यका अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भू र्भुव स्वाहा।
स्वः स्वाहा स्वधा।
अर्घहे सत्यक इदमध्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ
भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा।25।
बलि-गुड़, सफेद फूल। यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः।। (शान्तिधारा)
आराधना श्लोकभृशं विवक्षुर्गुण शास्त्रसंघ भृशं दिट्टक्षुर मुनिमुख्य संगम्। भृशामरः संश्रुत वृत्त शत्रु रातु प्रमोदान्न वनति पिंडम्।।26।।
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