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बलि विधानॐ मित्राय स्वाहा। मित्र परिजनाय स्वाहा। मित्रा अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भू र्भुव स्वाहा। स्वः
स्वाहा स्वधा।
अर्घ
हे मित्र इदमध्यं पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ
भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा।12।
बलिंदही का वडा, मैदा का घुघरा। यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः॥ (शान्तिधारा)
आराधना श्लोकसंविद्र देवाय सविक्रमाय, तनून पात्पक्ष मुपाश्रिताय। वनाम रानी कपूरः सराय ददामि पुंजीकृत धान्य लाजम्।।13।।
आह्वानॐ आं क्रौं ह्रीं कृष्ण वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे भूधर
आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
बलि विधानऊँ भूधराय स्वाहा। भूधर परिजनाय स्वाहा। भूधरा अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भू र्भुव स्वाहा। स्वः
स्वाहा स्वधा।
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