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बलि विधानऊँ यमाय स्वाहा। यम परिजनाय स्वाहा। यमा अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भूर्भुव स्वाहा। स्वः स्वाहा
स्वधा।
अर्घ
हे यमदेव इदमघु पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं, दीपं, धूपं, पुष्पं, चरुं, बलिं, फलं स्वस्तिकं यज्ञ
भागं यजामहे प्रतिगृह्यतां प्रतिगृह्यतां इति स्वाहा।4।
बलिंतिली का चूर्ण, अरहर, गुगरी। यस्यार्थं क्रियते पूजा तस्य शान्तिं भवेत सदा, शान्तिकं पौष्टिकं चैव सर्वकार्येषु सिद्धिदः।। (शान्तिधारा)
___ आराधना श्लोकनैऋत्य देशो निऋतिः सुरुक्ष मृक्षांग वाह द्विष दास्य रक्षः। आरुढ़ बानुद्रत मुद्रारास्त्र पिण्या कमायच्छतु तैलमिश्रम्।।5।।
आह्वानऊँ आं क्रौं ह्रीं नील वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन-वधु चिन्ह सपरिवार हे नैऋत
आगच्छ, आगच्छ स्व स्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
बलि विधानऊँ नैऋताय स्वाहा। नैऋत परिजनाय स्वाहा। नैऋता अनुचराय स्वाहा। वरुणाय स्वाहा। सोमाय स्वाहा। प्रजापतये स्वाहा। ऊँ स्वाहा। ऊँ: भूः स्वाहा। भुवः स्वाहा। भूर्भुव स्वाहा। स्वः स्वाहा स्वधा।
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