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मंगलपाठ
मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरौं नित ध्यान | हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान |१| मंगल जिनवर पद नमौं, मंगल अरिहन्त देव | मंगलकारी सिद्ध पद, सो वन्दौं स्वयमेव |२| मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय | सर्व साधु मंगल करो, वन्दौं मन वच काय |३/ मंगल सरस्वती मातका, मंगल जिनवर धर्म | मंगल मय मंगल करो, हरो असाता कर्म |४| या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होत | मंगल नाथूराम यह, भव सागर दृढ़ पोत |५|
भजन : मैं थाने पूजन आयो
श्री जी! मैं थाने पूजन आयो , मेरी अरज सुनो दीनानाथ जी | श्री जी! मैं थाने पूजन आयो |१|
जल चन्दन अक्षत शुभ लेके ता में पुष्प मिलायो | श्री जी! मैं थाने पूजन आयो |२| चरु अरु दीप धूप फल लेकर, सुन्दर अर्घ बनायो | श्री जी! मैं थाने पूजन आयो |३| आठ पहर की साठ जु घड़ियां, शान्ति शरण तोरी आयो | श्री जी! मैं थाने पूजन आयो |४|
अर्घ बनाय गाय गुणमाला, तेरे चरणनि शीश झुकायो | श्री जी! मैं थाने पूजन आयो |५/ मुझ सेवक की अर्ज यही है, जामन मरण मिटावो | मेरा आवागमन छुटावो श्री जी मैं थाने पूजन आयो |६|