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फल चढ़ाते समय : - हे प्रभु! आपने अपने लक्ष्य परम शांति को प्राप्त कर लिया है। अविनाशी मुक्तिरूपी फल को प्राप्त कर आप तो अपने स्वाद में मग्न हो चुके हैं। आपने जिस फल को अपने पुरुषार्थ के बल से प्राप्त कर लिया है। उसी फल की प्राप्ति के लिए यह लौकिक फल आपके चरणों में चढ़ाने आया
फल प्राप्त हो जाय यही आपसे विनती है।
अन्त में, अर्घ्य चढ़ाते समय : - हे प्रभु! आप अनर्घ्य-पद विभूषित, वीतराग विज्ञानी केवली भगवान हैं। आप जैसा अनर्घ्य पद मुझे मेरे पुरुषार्थ से पैदा हो जाए, इसी भावना से यह पुनीत अर्घ्य आपके चरणों में समर्पित कर रहा हूँ।
प्रत्येक द्रव्य चढ़ाते समय जो भाव बताए हैं, उन ही भावों से पूजन करें तो निश्चित ही भक्त से भगवान बन जाएंगे, संसारी से मुक्त बन जाएंगे। पूजा वीतराग देव के लिए नहीं बल्कि अपनी निराकुलता प्राप्ति के लिए होती है। भगवान कर्ता या दाता नहीं है, उनके गुणों में अनुराग-भक्ति से ही सब कार्य सिद्ध होते हैं, परन्तु भक्ति के प्रवाह में भी मांगना उचित नहीं है।
देव शास्त्र गुरु पूजते, सब कुछ पूरण होय। मनवाँछित सब कुछ मिले, श्रावक जानो सोय।।
४. पूजन-क्रिया समाप्ति – यह, समुच्चय महार्घ्य चढ़ा कर, शान्तिपाठ, कायोत्सर्ग और विसर्जन-पाठ गायन से होती है। पूजा-विसर्जन क्रिया ठोने पर अखंड पुष्प क्षेपण से होती है। इसके उपरान्त ठोने में पूजित जिनवर के चरण-चिह्न-प्रतीक पुष्पों के अभिषेक-भाव से किंचित जलधारा करते हैं जिस से ठोने का मांडना विलीन हो जाता है और यह जल गंधोदक के रूप में ग्रहण किया जाता है। वेदी की तीन प्रदक्षिणा देने के उपरांत पञ्च –परमेष्ठी आरती की जाती है| समय की उपलब्धता ध्यान में रख मूल नायक आदि की आरती भी की जाती है|
५. पूजा-पुस्तक वापसी - विनय सहित पूरी पुस्तक में फंसे चावल आदि को अच्छी तरह से झाड़ लें, पुस्तक नम हो गई हो तो कुछ देर धूप/हवा में रख दें, फट गई हो तो मरम्मत कर दें; फिर ग्रन्थ भंडार में उस के निश्चित क्रमस्थान पर विनय सहित वापस रखें और कायोत्सर्ग कर भंडार के पट बंद करें|
चावल आदि के दाने पड़े रह जाने से पूजा पुस्तकों/भंडार में जीवाणु व चूहों की संभावना होती है| अतः भली भांति देख भाल कर सावधानी से शुद्ध पूजा पुस्तकें उठाएं एवं रखें| असावधानी वश, उन में कभी कभी अशुद्ध पुस्तकादि अन्य साहित्य भी रखे देखने में आते हैं| भंडार की नियमित जांच व झाड-पोंछ भी पूजन का अंग है| घर से पूजन के लिए आते समय पूजा सामग्री के साथ एक पेन और डायरी अवश्य लाएं, अभिषेक-पूजन क्रिया के दौरान उपजे प्रश्न/शंका व सुझाव नोट कर, समाधान का उद्यम करना परिणाम-विशुद्धि वर्धक होता है|
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