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________________ वर्तमान जो आपका, वह भविष्य मम जान || (Dōhā) Bhūtakāla prabhu āpakā, vaha mērā vartamāna Vartamāna jō āpakā, vaha bhaviṣya mama jāna || // पुष्पांजलिं क्षिपेत् // || puspāñjalim ksipet || सलूनो पर्व पूजाएँ Saluno Parv Poojayen श्री विष्णुकुमार महामुनि पूजा Śrī Visnukumāra Mahāmuni Puja ( लावनी छन्द) श्री योगी विष्णुकुमार बाल-वैरागी | तप-बल से पावन ऋद्धि-विक्रिया जागी || सुन मुनियों पर उपसर्ग स्वयं अकुलाये | हस्तिनापुर वे वात्सल्य-भरे हिय आये || कर दिया दूर सब कष्ट साधना-बल से | पा गये शांति सब साधु अग्नि के झुलसे || जन-जन ने जय-जयकार किया मन भाया | मुनियों को दे आहार स्वयं भी पाया || हैं वे मेरे आदर्श सर्वदा स्वामी | मैं उनकी पूजा करूँ बनूँ अनुगामी || वे दें मुझमें यह शक्ति भक्ति-प्रभु पाऊँ | मैं कर आतम-कल्याण मुक्त हो जाऊँ || ओं ह्रीं श्रीविष्णुकुमारमुनि ! अत्र अवतर! अवतर! संवौषट् (आह्वानम्) ओं ह्रीं श्रीविष्णुकुमारमुनि! अत्र तिष्ठ ! तिष्ठ ! ठ!: ठ: ! (स्थापनम् ) ओं ह्रीं श्रीविष्णुकुमारमुनि! अत्र मम सन्निहितो भव ! भव! वषट् ! (सन्निधिकरणम्) (lāvanī chanda) 348
SR No.009252
Book TitleJin Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages771
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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