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अर्थ- हे अनंतसुखरूपी अमृत के समुद्र ! हे धीर ! कलंकरूपी धूलि को उड़ाने के लिए प्रबल वायु ! हे कामविका
को खंडित करनेवाले! हे कर्मों के विरामस्थल ! हे निर्मोह पवित्र सिद्धों के समूह ( हम पर ) प्रसन्न होइये | ४ | Artha- he anantasukharūpī amṛta kē samudra! Hē dhīra! Kalankarūpī dhūli kō urānē kē li'ē prabala vāyu! Hē kāmavikāra kō khaṇḍita karanēvālē! Hē karmōm kē virāmasthala! Hē nirmōha pavitra sid'dhōm kē samūha (hama para) prasanna höiyē |4|
विकार-विवर्जित तर्जित-शोक, विबोध-सुनेत्र - विलोकित-लोक | विहार विराव विरंग विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह ||
Vikāra-vivarjita tarjita-śoka, vibodha-sunētra-vilōkita-loka | Vihāra virāva viranga vimōha, prasīda viśud'dha susid'dha-samūha||
अर्थ- कर्मजन्य शुभ-अशुभ विकारों से रहित ! हे शोकरहित! हे केवलज्ञान रूपी नेत्र से सम्पूर्ण लोक को देखनेवाले! कर्मादिक द्वारा हरण से रहित ! शब्दरहित तथा रंग से रहित ऐसे हे मोह-रहित ! परम विशुद्ध सिद्धों के समूह! (हम पर) प्रसन्न होइये | ५ |
Artha- karmajan'ya śubha-aśubha vikārōm sē rahita! He śokarahita! He kēvalajñāna rūpī nētra sē sampūrṇa lōka kō dēkhanēvālē! Karmadika dvārā haraṇa sē rahita! Sabdarahita tathā ranga sẽ rahita aise hē mōharahita! Parama viśud'dha sid'dhōm kē samūha! (Hama para) prasanna hō'iye |5|
रजोमल-खेद-विमुक्त विगात्र, निरंतर नित्य सुखामृत - पात्र |
सुदर्शन राजित नाथ विमोह, प्रसीद विशुद्ध सुसिद्ध-समूह ||
Rajōmala-khēda-vimukta vigātra, nirantara nitya sukhāmṛta-pātra | Sudarśana rājita nātha vimōha, prasīda viśud❜dha susid’dha-samūha ||
अर्थ- दोष-आवरण तथा खेदरहित! हे अशरीरी ! हे निरंतर ! समय के अन्तररहित ! सुखरूपी अमृत के पात्र ! हे सम्यग्दर्शन या केवलदर्शन से शोभायमान हे संसार के स्वामी! हे मोह - रहित परम पवित्रता युक्त सिद्धों के समूह ! (हम पर) प्रसन्नता धारण कीजिए | ६ |
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