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लोकवर्णन ( Universe Description)
तीन लोक
तीन लोक
Man
IILal
न
अबतभार
शर्करा प्रभा वालुका प्रभा
पंक प्रभा
ਖ਼ਤ
ਆ
समः प्रथा
महाजयः व
कलकला पुच्ची
स
लोक क्या है ?
जैन दर्शन के अनुसार, तीर्थंकर भगवान जो सर्वज्ञ हैं, उनके द्वारा देखे गए अनंत आकाश द्रव्य में से 343 घनरज्जु (राजु) प्रमाण पुरुषाकार आकाश- भाग जिसमें जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म एवं काल ये शेष पांच द्रव्य व्याप्त हैं, लोक कहलाता है, और इसे छोड़ कर शेष अलोकाकाश है|
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