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श्री अनंतनाथ जिन वसु द्रव्य लेय श्रेष्ठ आत्म द्रव्य मिलाऊँ। अनंतनाथ के चरण में शीघ्र चढ़ाऊँ। अनंत ज्ञान हेतु नाथ प्रार्थना करूँ।
सिद्ध पद के हेतु अर्चना करूँ।।।। ऊँ ह्रीं श्रीअनंतनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
___ श्री धर्मनाथ जिन शुभ भावों का अर्घ्य बनाय, पद अनर्घ्य जिनवर दर्शाय। ___ परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय।। आत्म ध्यान का करूँ उपाय, धर्मनाथ जिनवर गुणगाय।
परम जिनराय, जय-जय नाथ परम सुखदाय।।।। ऊँ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
श्री शांतिनाथ जिन बिन श्रद्धा के नाथ हजारों, मैंने अर्घ्य चढ़ाये हैं। दिखा दिखाकर इस दुनिया को,धर्मी भी कहलाये हैं। सारे दर को छोड़ प्रभु जी, आज आपके दर आया।
शांतिनाथ प्रभु के चरणों में, मुक्तिरमा वरने आया।। ऊँ ह्रीं श्रीशांतिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
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