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बाहुबली स्वामी पूजन वसु-विधि के वश वसुधा सब ही, परवश अतिदुःख पावें। तिहि दुःख दूरकरन को भविजन, अर्घ्य जिनाग्र चढ़ावे॥
परम-पूज्य वीराधिवीर जिन, बाहुबली बलधारी।
तिनके चरण-कमल को नित-प्रति, धोक त्रिकाल हमारी।। ॐ ह्रीं श्री बाहुबली-परमयोगीन्द्राय अनर्घ्य-पद प्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।।
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