________________
श्री अनंतनाथ जिन पूजन
स्थापना आडिल्ल छन्द
अनंत ज्ञानी ज्योतिर्मय जिनराय जी । कर्म अंत कर मोक्ष गये शिवराय जी ॥ करुणाकर स्वीकारो प्रभु वंदन मेरा | आ गया चरणों में मेटो भव फेरा ॥1॥ शक्ति जब तक मुझमें दर ना छोडूंगा। जैसी आज्ञा प्रभु आपकी मानूँगा।। आह्वानन करता हूँ नाथ आ जाओ। भावों के उच्चासन प्रभु समा जाओ || 2 ||
ऊँ ह्रीं श्रीअनंतनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्।
ऊँ ह्रीं श्रीअनंतनाथजिनेन्द ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम्।
ऊँ ह्रीं श्रीअनंतनाथजिनेन्द ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
द्रव्यार्पण
ज्ञानोदय छंद
अनादि काल से जनम मरण किया प्रभो ।
इक बार भी सम्यक् मरण नहीं किया विभो ।।
अनंत ज्ञान हेतु नाथ प्रार्थना करूँ।
जन्म मृत्यु नाश हेतु अर्चना करूँ ।।1।।
ऊँ ह्रीं श्रीअनंतनाथजिनेन्द्राय जन्म जरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
115