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________________ भगवान श्री शांति, कुंथ, अरहनाथ भगवान की आरती आरती तीर्थंकर त्रय की, शांति, कुंथु, अरनाथ जिनेश्वर की पदवी त्रय की।आरती.।।टेक.॥ हस्तिनापुरी में तीनों, जिनवर के जन्म हुए हैं। मेरू की पांडुशिला पर, इन सबके न्हवन हुए हैं।। आरती तीर्थंकर त्रय की ॥१॥ निज चक्ररत्न के द्वारा, छह खण्ड विजय कर डाला। तीनों ने उसे फिर तजकर, जिनरूप दिगम्बर धारा।। आरती तीर्थंकर त्रय की ॥२॥ कुरुजांगल के ही वनों में, कैवल्य परम पद पाया। निज दिव्यध्वनी के द्वारा, आतमस्वरूप समझाया।। आरती तीर्थंकर त्रय की ॥३॥ शुभ चार-चार कल्याणक, तीनों जिनवर के हुए हैं। हस्तिनापुरी में ऐसे, इतिहास अनेक जुड़े हैं।। आरती तीर्थंकर त्रय की ॥४॥ सम्मेदशिखर तीनों की, निर्वाणभूमि कहलाती। “चंदनामती' प्रभु आरति, से भव बाधा नश जाती।। आरती तीर्थंकर त्रय की ॥५॥ 36
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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