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पांडव तीन बड़े राजा तुम जानियो । आठ कोडि मुनि चरम शरीर मानियो । श्री शत्रुंजय शिखर मुक्ति वर पाय जी ।। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय।
ऊँ ह्रीं शत्रुंजय शिखर सेती पांडव आदि आठ करोड़ मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। 11।
श्री गजपंथ शिखर पर्वत सुखधाम | मुक्ति गये बलभद्र सात अभिराम है। आठ कोडि मुनि सहित नमौं मन लाय के । तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय।
ऊँ ह्रीं गजपंथ शिखर सेती सात बलभद्र सहित आठ कोडि मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। 12।
रावण के सुत आदि पंच कोडि जानिये। ऊपर लाख पचास परम सुख मानिये || रेवा नदी के तीर मुक्ति में जाय के । तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय
ॐ ह्रीं रेवा नदी के तीर सेती रावण के सुत आदि साढ़े पांच करोड़ मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। 13।
द्वै चक्री दश काम कुमार महाबली । रेवा नदी के पच्छिम कूट सिद्ध है भली। साढ़े तीन कोडि मुनि शिव को पाय के। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय।
ऊँ ह्रीं रेवा नदी के पश्चिम भाग तें सिद्धवरकूट सेती द्वै चक्री दश कामदेव आदि साढ़े तीन कोडि मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अघ्यं निर्वपामीति स्वाहा।14।
दक्षिण दिशि में चूल उतंग शिखर जहाँ। बड़वानी बड़नयर तहां शोभित महा।। इन्द्रजीत अरु कुंभकरण व्रत धारि के। मुक्ति गये वसु कर्म जीति सुखकारि के।। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से । भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय के ऊँ ह्रीं बड़वानी की दक्षिण दिशा में चूलगिरि शिखर सेती इन्द्रजीत कुंभकरण मुनि मुक्ति पधारें
तिनि को अघ्यं निर्वपामीति स्वाहा।15।
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