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फूल सुगंध मधुप- गुंजार, पूजौं जिनवर जग - आधार । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥ दरशविशुद्धि भावना भाय, सोलह तीर्थंकर पद दाय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥
ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणेभ्यः कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
सद नेवज बहुविधि पकवान, पूजौं श्रीजिनवर गुणखान | परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो || दशविशुद्ध भावना भाय, सोलह तीर्थंकर पद दाय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो |
ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणेभ्यः क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
दीपक ज्योति तिमिर छयकार, पूजूं श्रीजिन केवलधार । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो । दरशविशुद्धि भावना भाय, सोलह तीर्थंकर पद दाय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो |
ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणेभ्यो मोहान्धकारविनाशाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
अगर कपूर गंध शुभ खेय, श्रीजिनवर आगे महकेय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो |
दरशविशुद्धि भावना भाय, सोलह तीर्थंकर पद दाय ।
परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो ॥
ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्ध्यादिषोडशकारणेभ्यो अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
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