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हरिचंदन कुंकुम गंध लिये, जिनचरण चढ़ाने आये हैं। मोहारिताप संतप्त हृदय, प्रभु शीतल करने आये हैं। हे वीरप्रभो! चंदन लेकर, चर्चन करते तव चरणों में ।। त्रिशलानंदन, शत-शत वंदन, शत-शत वंदन तव चरणों में। हम भक्तिभाव से अंजलि कर, प्रभु शीश झुकाते चरणों में ।। ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय संसारताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा। 2।
क्षीराम्बुधि फेन सदृश उज्ज्वल, अक्षत धोकर ले आये हैं। क्षय-विरहित अक्षत-सुख हेतू, प्रभु पुंज चढ़ाने आये हैं।। हे वीरप्रभो! हम पुंज चढ़ा, अर्चन करते तव चरणों में।। त्रिशलानंदन, शत-शत वंदन, शत-शत वंदन तव चरणों में।
हम भक्तिभाव से अंजलि कर, प्रभु शीश झुकाते चरणों में।। ॐ ह्रीं श्रीमहावीर जिनेन्द्राय अक्षयपद-प्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा। 3।
बेला चंपक अरविंद कुमुद, सुरभित पुष्पों को लाये है।। मदनारिजयी तव चरणों में, हम अर्पण करने आये हैं।
हे वीरप्रभो! पुष्पों को ले, पूजा करते तव चरणों में।। त्रिशलानंदन, शत-शत वंदन, शत शत वंदन तव चरणों में। हम भक्तिभाव से अंजलि कर, प्रभु शीश झुकाते चरणों में।। ऊँ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय कामबाण-विध्वंनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।4।
पूरणपोली खाजा गूझा, मोदक आदि बहुत लाये है। निज आतम-अनुभव अमृत हित, नैवेद्य चढ़ाने आये हैं।। हे वीरप्रभो! चरु अर्पण कर, हम नमन करें तब चरणों में। त्रिशलानंदन, शत-शत वंदन, शत शत वंदन तव चरणों में।
हम भक्तिभाव से अंजलि कर, प्रभु शीश झुकाते चरणों में।। ऊँ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय क्षुधारोग-विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
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